अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने राफेल सौदे को लेकर एक और बड़ा ख़ुलासा किया है। अख़बार का दावा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने राफेल के ऑफसेट सौदे में शामिल कठोर शर्तों को हटाकर फ्रांस की दो कंपनियों दसॉ एविएशन और एमबीडीए को बड़ी राहत दी थी।

द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) द्वारा फ्रेंच कंपनियों को दी गई इस राहत पर तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने असहजता महसूस की थी। उनका मानना था कि यह रक्षा खरीद प्रक्रिया से काफी हटकर है।

दोनों कंपनियों को रक्षा सौदे की प्रक्रिया (DPP-2013) के स्टैंडर्ड कॉन्ट्रैक्ट दस्तावेज के कई प्रावधानों के अनुपालन से छूट दी गई। दोनों कंपनियों को राफेल के ऑफसेट सौदे में शामिल दो प्रावधान (आर्टिकल 9) और इंडस्ट्र‍ियल सप्‍लायर्स के खातों तक पहुंच (आर्टिकल 12) से परेशानी थी।

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बता दें कि 24 अगस्त, 2016 को राहत दिए जाने के बाद इन दोनों कंपनियों ने 7.87 अरब डॉलर की डील तहत ही 23 सितंबर, 2016 को भारत सरकार के साथ ऑफसेट समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि मोदी सरकार ने DPP-2013 के दो और अनिवार्य प्रावधानों को हटा दिया। इन प्रावधानों के जरिए सौदे में “अनुचित प्रभाव के इस्‍तेमाल” और “एजेंट्स/एजंसी कमीशन” पर प्रतिबंध लगाया गया था।

दोनों का जिक्र SCD के आर्टिकल 22 और 23 में है। इसके अलावा किसी अपराध के मामले में निजी इंडस्ट्र‍ियल सप्लायर्स के खिलाफ पेनाल्‍टी लगाने की शर्त भी चुपचाप हटा दी गई। यही नहीं, इसे हटाने के लिए सीसीएस से मंजूरी लेने की जरूरत भी नहीं समझी गई।

रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने इन महत्वपूर्ण तथ्यों को सुप्रीम कोर्ट से छुपाया है। बता दें कि ऑफसेट पॉलिसी में ये बड़े बदलाव अगस्त 2015 में किए गए और इसे 21 जुलाई, 2016 के भारतीय निगोशिएशन टीम (INT) की फाइनल रिपोर्ट में शामिल किया गया।

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