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देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक बार फिर 30 हज़ार किसान अपनी मांगों को लेकर सड़को पर हैं। ‘किसान और आदिवासी लोकसंघर्ष समिति’ के बैनर तले किसान ठाणे पहुँच चुके हैं, अब वहां से मुंबई के रवाना होंगें। किसानों का ये मार्च मुलुंड से निकलकर आजाद मैदान तक जायेगा।
दरअसल इस साल मार्च महीने में 25 हज़ार से ज्यादा किसानों ने नासिक से मुंबई तक का सफ़र किया था। मगर नाराज किसानों को उस वक़्त दिलासा देते हुए फडणवीस सरकार ने कहा कि उनकी समस्याओं का हल हो जाएगा। मगर नौ महीने गुजर जाने के बाद किसानों को कोई भी राहत नहीं दी गई।
किसानों की मुख्य मांगों में बिजली की समस्या वाधिकार कानून लागू करना सूखे से राहत और न्यूतन समर्थन मूल्य, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने को कह रहे है।
मगर बीजेपी शासित राज्य में किसानों की बात नहीं सुनी जा रही है उनसे वादा तो कर दिए जाते है जिससे नाराजगी का असर चुनाव में पड़े मगर जैसे ही चुनाव ख़त्म हो जाते है सरकार अपना वादा भूल जाती है।
किसानों इस संघर्ष में कई सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हो रहे। संगठन ने बयान जारी करते हुए कहा कि अगर इस बार भी फडणवीस सरकार हमसे झूठे वादे करती है तो आंदोलन और बढ़ सकता है।
संगठन ने कहा कि महाराष्ट्र का एक बड़ा हिस्सा हर साल सूखे की चपेट में आ जाता है जिसकी वजह से किसानों को नुकसान होता है और वो आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर होते हैं। ऐसे में सरकार के लिए किसानों को राहत देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।
बता दें कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने पिछली बार नासिक से मुंबई चलकर आए हजारों किसानों को किसान मानाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि वो किसान नहीं थे बल्कि आदिवासी थे वो खेती करने के लिए सरकार से जमीन मांग रहे थे।
हालाकिं उन्होंने उन किसानों से वादा भी किया था जिसके लिए उन्होंने एक समिति भी बनाई थी जो 9 महीनों में किसानों को राहत देने में असफल रही है।