उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम, पूरे देशभर से किसान आज राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान पर पहुँच चुके है। किसी को अपने बढ़ते कर्ज की चिंता है तो किसी की खेतीहर ज़मीन छीने जाने का दुःख सभी राज्यों के किसान एक तिरपाल के नीचे बैठे हुए है। दिल्ली की ठंड में किसानों का जोश ठंडा नहीं है, 80 साल के बुजुर्ग से लेकर 20 साल के युवा एक मैदान पर मौजूद है।

दरअसल किसानों की मांग है कि उन्हें कर्ज से पूरी तरह मुक्ति दी जाए और फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा दिया जाए। चाहे बीजेपी सरकार शासित राज्य हो या फिर कांग्रेस शासित राज्य सभी परेशान है।

सबसे ज्यादा गुस्सा किसमें ये पता लगाना मुश्किल है मगर दर्द सबका एक है की जो सरकार जीएसटी के लिए विशेष सत्र बुला सकती है वो सरकार कृषि प्रधान देश के लिए किसानों के लिए विशेष सत्र क्यों नहीं बुला सकती है।

उत्तर प्रदेश के किसान ने योगी सरकार पर गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा कि सरकार उस राम की मूर्ति और मंदिर बनाने की बात कर रही है जो राम सबके मन में बसते है उस राम पर खर्च कर क्या दिखाना चाहती है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने वादा किया था की 14 दिनों में कर्ज माफ़ी की जाएगी मगर ऐसा नहीं हुआ।

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उन्होंने कहा कि किसानी हर वर्ग कर रहा है चाहे वो हिंदू हो मुसलमान या सिख हर धर्म हर जाति के लोग किसानी कर रहें है ऐसे में हर किसान को राहत चाहिए जो उसे नहीं मिल रही है।

झारखंड से आए किसान ने कहा कि देश में जो फासीवादी ताकत है इस सरकार ने नौजवानों-किसानों और बेरोजगारो से जो वादे किये उसे पूरा नहीं किया। किसान आत्महत्या करने को मजबूर है सिर्फ झारखंड में किसान आर्थिक रूप से टूट चुका है, उसे उसकी फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने कहा था कि वो फसल का डेढ़ गुना लाभ देगी मगर ऐसा हुआ नहीं।

रघुवर दास की सरकार ने कहा कि वो किसानों को राहत देंगें मगर ऐसा नहीं हुआ और आज झारखंड में सुखा पड़ा हुआ मगर किसान मजबूर है उसकी आय का कोई श्रोत नहीं है, ये हालत है सरकार के झूठे वादों की हम किसके पास जायेंगें।

कर्नाटक के किसान नागेन्द्र ने कहा कि न हमें राज्य की सरकार ने राहत दी और न ही केंद्र सरकार ने, मोदी सरकार ने कहा था कि वो गरीबों के अकाउंट में 15-15 लाख रुपये देंगें मगर ऐसा नहीं हुआ।

जिस जेडीएस-कांग्रेस सरकार ने वादा किया था कि वो कर्जमाफी करेंगें मगर ऐसा नहीं हुआ, हम अपनी आवाज संसद में उठायेंगें हमारे देश के प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया।

ये सिर्फ उन राज्यों की बात है जहां के किसानों से वादा करके बीजेपी और कांग्रेस सरकार बनाती है मगर जब वादे पूरा करने की बात आती है तो वो चुनाव के बाद अपने वादों को भूल जाती है।

किसानों को मंदिर-मस्जिद की राजनीति नहीं चाहिए वो परेशान है की बैंक वाले उन्हें परेशान करते है उनके दरवाजे आकर पुलिस भेजने की धमकी देते है, उनकी सुनने वाला न ही विधायक उनके साथ आता है और न ही कोई सांसद या फिर मुख्यमंत्री।

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किसान दो दिन के लिए दिल्ली उम्मीद के साथ आए है कि मोदी सरकार उनकी सुनेगी मगर अब इस मामले पर वो किसानों की सुनते है या नहीं ये देखना बाकी है।

क्योंकि बंगाल, बिहार, ओडिसा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के किसान सिर्फ दो मांगें लेकर दिल्ली आए है। पहली कि किसानों को कर्ज से पूरी तरह मुक्ति कर दिया जाए और दूसरी सरकार की ओर से फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा दिया जाए।

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