
रामलीला मैदान से चलकर आज किसान संसद मार्ग पहुंच गए। सब किसान एक सुर में बार बार कह रहे रहे थे अगर मोदी सरकार बड़े पूंजीपतियों का पैसा माफ़ कर सकती है तो हमारा क्यों नहीं।
हरियाणा हो चाहे महाराष्ट्र या फिर पंजाब सभी राज्यों की मांग किसानों की सिचांई के लिए पानी और उसके लिए हम किसानों को सस्ती बिजली दी जाए।
देशभर से किसान अपनी आवाज बुलंद करते हुए तरह के तरह के नारे लगाते हुए संसद मार्ग पहुंचे थे। किसानों की इस भीड़ ने विपक्ष के नेताओं को ध्यान खींच लिया।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राजस्थान चुनाव प्रचार के बीच दिल्ली पहुँच गए जहां उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा किया।
हालांकि स्वराज इंडिया पार्टी के संयोजक और किसानों के लिए लगातार काम कर रहे योगेन्द्र यादव ने साफ़ कह दिया की मुझे नहीं लगता कि जितने भी राजनीतिक दल यहां आए ये सब किसानों के लिए कुछ करेंगें मगर ये किसानों के हित की बात कर रहे हैं तो ये किसानों के लिए अच्छा संकेत है।
मंदिर-मस्जिद करने के लिए मीडिया ‘अयोध्या’ चली जाती है मगर दिल्ली में आए हजारों ‘किसानों’ को नहीं दिखाती है
वहीं अगर किसानों की बात करें तो सभी एक सुर में कह रहें थे कि अगर विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे लोग हजारों करोड़ लेकर भाग सकते हैं, उनके कर्ज माफ़ हो सकते हैं तो हमारें क्यों नहीं, किसान वाकई परेशान थे इसलिए तो उन्होंने पोस्टर पर नारा लिखते हुए अपना गुस्सा ज़ाहिर किया।
नारे जो सरकार के असल कामकाज का रिपोर्ट कार्ड देते है। पोस्टरों पर लिखें नारे कुछ इस प्रकार थे।
मोदी जी, आपके बारे में देश के किसान यही कह रहे हैं।
अंबानी जिसका ताऊ है वो सरकार बिकाऊ है
कौन बनाता हिंदुस्तान
भारत का मजदूर किसान
लाल किले पर लाल निशान मांग रहा मजूदर किसान।
प्रधानमंत्री शर्म करो झूठ बोलना बंद करो।
किसान विरोधी मोदी सरकार मुर्दाबाद।
भगवान का सौदा करता है इंसान की कीमत क्या जाने? जो धान की कीमत दे न सका वो जान की कीमत क्या जाने?
किसानों ने ठान ली है- अगर मोदी सरकार उनकी नहीं सुनती है तो उन्हें हटा देंगें।
मगर एक सवाल ये भी उठता है कि केंद्र में बीजेपी सरकार के जाने से क्या किसानों की समस्या हल हो जायेगी। क्योंकि किसानों का भला तो मोदी सरकार ने भी करने का वादा किया था मगर सरकार बनने के बाद उसे भी अपना वादा याद नहीं रहा।
वैसे ही अगली सरकार भी किसानों को भूल उद्योगपतियों को खुश करने में लग जाएगी या फिर उसे किसान याद रहेंगें। और वो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेगी जो मरते किसानों के लिए संजीवनी साबित हो सकती है।