मोदी सरकार के आर्थिक मामलों के सचिव ने कल ट्वीट कर जानकारी दी है कि सरकार ने आरबीआई से 3.6 लाख करोड़ जैसी कोई भी मांग नहीं की है. साथ ही आगे जानकारी देते हुए लिखा है कि सरकार का राजकोषीय गणित पूरी तरह ट्रेक पर है.

इसी के साथ ही आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि मीडिया में आरबीआई के प्रस्ताव को लेकर गलत सूचनाएं चल रही है. चर्चा के लिए जो प्रस्ताव है वह उचित आर्थिक पूंजी ढांचे को लेकर है. सरकार की ओर से यह ट्वीट सरकार और आरबीआई के बीच बढ़ते मतभेदो के दौरान मीडिया में चल रहीं खबरों के दवाब में आया है.

खबरें यहां तक है कि सरकार आरबीआई से अपनी मांगे पूरी करने के लिए आरबीआई सेक्शन-7 का प्रयोग भी आरबीआई के खिलाफ कर सकती है. इस सेक्शन के तहत सरकार आरबीआई की स्वसत्ता के विपरीत आरबीआई को अपना आदेश मनवाने के लिए बाध्य कर सकती है.

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साथ ही ट्वीट आर्थिक मामलों के सचिव ने लिखा है कि 31 मार्च 2019 को खत्म होने वाले वाले चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का टारगेट 3.3 प्रतिशत रहेगा. यह 2013-14 में 5.1 प्रतिशत था. सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने में अब तक सफल रही है.

साथ ही हम को चालू वित्त वर्ष 2018-19 को तय टारगेट 3.1 प्रतिशत पर ही समाप्त करेंगे. साथ ही साथ सरकार ने वास्तव में 70,000 करोड़ रुपये के बजट बाजार उधार लेने का अनुमान लगाया है.

लगातार मीडिया में आ रही सरकार और आरबीआई के बीच मतभेदों की खबरों के बीच आर्थिक सचिव का यह बयान सरकार पर मीडिया के बनते दवाब के चलते ही आया है.

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आपको बता दें कि इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी 5 नवंबर को एक ट्वीट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों पर तंज कसा था.

राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में एक अखबार की खबर को शेयर करते हुए लिखा था कि प्रधानमंत्री को अपने विलक्षण आर्थिक ज्ञान के चलते अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए रिजर्व बैंक से 3.60 लाख करोड़ रुपये की बड़ी रकम की आवश्यकता हो गई है.

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