‘दलित विरोधी ये सरकार, नहीं चलेगी अबकी बार’ पिछले कुछ सालों से मोदी सरकार के खिलाफ हो रहे आंदोलनों में ये नारा कॉमन है। कई समाजसेवी और दलित चिंतक मोदी सरकार को दलित विरोधी बता चुके हैं।

पहले बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण के समिक्षा की बात कही। फिर ऊना कांड और सहारनपुर जैसी घटनाएं हुई। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रोहित वेमुला की आत्महत्या में केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय का नाम आया।

रोहित वेमुला की घटना के बाद सड़क से लेकर संसद तक मोदी सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगने लगा। इसके बाद सरकार भी खुलकर सामने आ गई। सरकार ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण दिया। शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर दलित-आदिवासी-पिछड़ा विरोधी 13 प्वाइंट रोस्टर पर मौन सहमती दिए हुए हैं।

इतना सबकुछ हो जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी को सफाईकर्मियों की याद आयी है। दरअसल 24 फरवरी को पीएम मोदी प्रयागराज पहुंच, वहां उन्होंने चुनावी डुबकी लगाई। स्नान, पूजा, दर्शन.. आदि करने के बाद पीएम ने पांच सफाईकर्मियों के पैर धोए और कुछ सफाईकर्मियों को सम्मानित किया।

पीएम मोदी द्वारा सफाई कर्मचारियों के पैर धोए जाने को विपक्षी नेता नौटंकी बता रहे हैं। आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ट्वीट किया है कि,

‘ग़ज़ब का नौटंकी है यार आज भी हमारे जवान शहीद हो रहे हैं, अरुणाचल जल रहा है ये बंदा सूट-बूट में गंगा स्नान और फ़ोटो खिंचाने में व्यस्त है। पहले रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिये मजबूर करो चुनाव आये तो पैर धुलो वाह भाजपाईयों।’

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