अभी तक तो बीजेपी नेताओं के करीबियों पर देश के बैंकों का पैसा लेकर भागने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब तो बीजेपी नेताओं के दामाद भी इसमें शामिल हो गए हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है छत्तीसगढ़ के तीन बार मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह के दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता के खिलाफ।
पुलिस के अनुसार रमन सिंह के दामाद डॉ. पुनीत पर रायपुर स्थित सरकारी अस्पताल का सुपरिंटेंडेंट रहने के दौरान 50 करोड़ की वित्तीय अनियमितता का आरोप है जिसमें वहां की पुलिस ने पुनीत के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है।
पुलिस ने लुकआउट नोटिस को इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) को भी भेज दिया है और खबरों के मुताबिक इस नोटिस को आईबी की मदद से देश के सभी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों में भेजा जाएगा।
वहीं इस मामले में रायपुर एसपी आरिफ शेख ने कहा है कि डॉक्टर पुनीत गुप्ता के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस को आईबी को भेजा जा रहा है। हम इंश्योर करना चाहते हैं कि डॉक्टर पुनीत देश से बाहर न जा सकें।
लो भाई ! अपने चौकीदार की चौकीदारी में अब उनके पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद भी सरकारी क्या खजाने को करोड़ों का चूना लगा कर, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या के बाद, देश छोड़कर भाग गए?!https://t.co/Y2Pb8UfQy1
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 6, 2019
इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया है, “ हैलो भाई ! अपने चौकीदार की चौकीदारी में अब उनके पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के दामाद भी सरकारी क्या खजाने को करोड़ों का चूना लगा कर, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या के बाद, देश छोड़कर भाग गए?! ”
डॉ. पुनीत पर है 50 करोड़ के गबन का आरोप है
पुलिस के अनुसार डॉ. पुनीत गुप्ता पर आपराधिक षड़यंत्र, धोखाधड़ी, सरकारी खजाने से बेजा खर्च और नकली ऑडिट करवाने और 50 करोड़ के गबन का आरोप अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गुप्ता के खिलाफ केस सुपरिंटेंडेंट डॉ केके सहारे ने ही दर्ज करवाया है।
भूपेश बघेल सरकार गुप्ता को हटाकर डॉ. सहारे को लाई थी। सहारे की शिकायत का आधार 18 पेज की रिपोर्ट तैयार की गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने गबन के आरोप की जांच के लिए एक तीन सदस्यों वाली कमिटी बनाई थी। 8 मार्च को सरकार को सौंपी गई इस कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक
- बैंक से पैसे लेने के लिए गुप्ता ने जो प्रोजेक्ट रिपोर्ट की डीटेल्ड भेजी, उसे सरकार से अप्रूव नहीं करवाया गया।
- अस्पताल के रिकॉर्ड में लिखा है कि एक चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म से ऑडिट करवाया जा रहा था। जबकि फर्म का कहना है कि हमने तो कोई ऑडिट किया ही नहीं। हमारे लेटरहेड पर किसी और ने दस्तखत किए हैं।
- अस्पताल से ऐसे टेंडर जारी हुए, जिनकी रकम अनुमान से कहीं ज़्यादा थी। सिक्युरिटी के लिए टेंडर छह करोड़ 66 लाख का निकला, लेकिन एजेंसी को 21 करोड़ 19 लाख में ठेका मिला।
- डीकेएस अस्पताल में ऐसे लोगों को काम पर रखा गया जो पात्र नहीं थे और उन्हें तनख्वाह भी पे ग्रेड से बढ़ाकर दी गई।