देश में चल रहे नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध अब सडकों से होते हुए तमाम शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंच चुका है। जहाँ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास में पढ़ने वाले जर्मनी के एक छात्र को भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। जर्मनी के इस छात्र का नाम जैकब लिंडेथल है।
बता दें की 16 दिसम्बर के प्रदर्शन में आईआईटी मद्रास के छात्रों ने इस नए नागरिकता कानून का जमकर विरोध किया था। उस प्रदर्शन मार्च में जर्मन छात्र ने एक पोस्टर हाथ में लिया था जिसमे लिखा था ”1933-1945 हम वहां थे”। दरअसल जर्मन छात्र एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत पढ़ाई करने के लिए भारत आए थे। जो आईआईटी मद्रास से एमए फ़िजिक्स की पढाई कर रहे हैं।
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आईआईटी मद्रास के इस प्रदर्शन में जर्मनी छात्र के हाथ में जो पोस्टर था। उसमे जर्मनी में नाज़ियों और हिट्लर के द्वारा यहूदियों पर अत्याचार की ओर इशारा किया गया था। जिसे दुनिया का सबसे भयावह मानव नरसंहार के रूप में देखा जाता है।
दरअसल आईआईटी मद्रास में 16 दिसंबर को नागरिक संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध प्रदर्शन करने के लिए वहां छात्रों ने एक मार्च का आयोजन किया था। जिसमे यह छात्र जैकब उस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। जहां पर ये छात्र जामिया मिल्लिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई का भी विरोध कर रहे थें।
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इस प्रदर्शन के बाद भारतीय आव्रजन विभाग और आईआईटी मद्रास द्वारा जर्मन छात्र को यह कहा गया की आपको भारत से वापस जाना पड़ेगा। क्यूंकि आप भारत की राजनितिक मसलों को लेकर किसी भी प्रदर्शन में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। वहीं इस नए नागरिक कानून और एनआरसी का विरोध-प्रदर्शन विदेशों के कईं शहरों में हो रहे हैं। जिसमे भारतीय लोगों के साथ विदेशी मूल के लोग भी हिस्सा ले रहे हैं।