Shehla Rashid
Shehla Rashid

जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। सोशल मीडिया पर शहला को लेकर यह दावे किए जा रहे हैं कि उन्होंने कठुआ पीड़ित परिवार की मदद के लिए सोशल मीडिया कैंपेन के तहत जो पैसे जुटाए थे वह पीड़ित परिवार को नहीं मिले।

इन आरोपों के साथ इस मामले में शहला राशिद के खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी भी की जा रही है। हालांकि वेब पोर्टल ‘ऑल्ट न्यूज़’ ने इस बात का ख़ुलासा किया है कि शेहला पर लगाए जा रहे यह आरोप बेबुनियाद हैं।

ऑल्ट न्यूज़ ने इस मामले की पड़ताल करने के बाद दावा किया है कि शेहला ने पीड़ित परिवार की मदद के लिए जो फंड इकठ्ठा किया था वो पीड़ित परिवार तक पहुंच चुका है।

वेब पोर्टल ने अपने दावे को साबित करने के लिए फंडिंग वेबसाइट Crowdnewsing का ट्वीट लगाया है। यह वही फंडिंग वेबसाइट है जिसके ज़रिए पीड़ित परिवार की मदद के लिए लोगों से पैसे इकठ्ठे किए गए थे।

वेबसाइट ने अपने ट्वीट में पीड़ित परिवार के बैंक खाते की पासबुक की एक तस्वीर लगाई है, जिससे यह साबित होता है कि पैसे पीड़ित परिवार तक पहुंच गए हैं।

इसके साथ ही वेबसाइट ने सबूत के तौर पर पीड़ित परिवार का एक वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें परिवार पैसों के मिलने की पुष्टी कर रहा है।

दरअसल, शेहला पर आरोपों की बौछार तब तेज़ हुई जब उन्होंने ट्विटर से किनारा कर लिया। शेहला के ट्विटर अकाउंट डीएक्टिवेट करने के बाद यह कहा जाने लगा कि वह फंड के पैसों पर किए जा रहे सवालों से बचने के लिए ट्विटर छोड़कर चली गईं।

दिलचस्प बात तो यह है कि शेहला पर इस तरह के निराधार आरोप लगाने में टीवी चैनलों ने भी अहम भूमिका निभाई। ज़ी न्यूज़ के प्रोग्राम ‘डीएनए’ में फंड को लेकर Crowdnewsing द्वारा दी गई पूरी डिटेल के बावजूद फंड की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े किए गए।

प्रोग्राम को #kathuaBahanaDeshNishana हैशटैग के साथ ट्विटर पर पोस्ट किया गया। इसके साथ ही लिखा गया, “देखें, गैंगरेप पीड़ित के नाम पर लाखों का चंदा जमा करने का खेल”।

यह प्रोग्राम 17 अप्रैल को किया गया था, जबकि इससे पहले 13 अप्रैल को ही Crowdnewsing ने जमा किए गए फंड के संबंध में पूरी जानकारी ट्विटर के ज़रिए दे दी थी।

इसके साथ ही न्यूज़18 ने भी फंड को लेकर एक स्टोरी की। जिसमें दावा किया गया कि पीड़ित परिवार को केस लड़ने के लिए अपने मवेशी बेचने पड़े। लेकिन इस पूरी स्टोरी में असली सच को छुपा लिया गया। यह कहीं भी नहीं बताया गया कि पैसे पीड़ित परिवार के अकाउंट में पहुंच चुके हैं, लेकिन बैंक से पैसे निकालने में उन्हें कुछ दिक्कतें पेश आ रही हैं।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर ज़ी न्यूज़ और न्यूज़18 ने सच को दरकिनार करते हुए इस तरह की स्टोरी क्यों की? क्या यह नहीं मान लेना चाहिए कि मोदी सरकार की मुखर आलोचक शेहला राशिद को इन चैनलों ने साज़िश के तहत बदनाम करने की कोशिश की है?

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