
टीवी चैनलों में टीआरपी रेटिंग बढ़ाना मतलब किसी भी विषय पर चर्चा शुरू करवा दो। मगर अक्सर ऐसा होता है कि जिन मेहमानों को न्यूज़ चैनल अपने यहां सुर्खियाँ बनाने के लिए बुलाते है वो उल्टा उन्हें सुनाकर ही चले जाते है।
कुछ ऐसा ही हुआ आजतक के साहित्य सम्मेलन में, जहां एंकर को उम्मीद थी उनके मुताबिक जवाब मिलेगा मगर ऐसा हुआ नहीं।
दरअसल एंकर लेखक जावेद अख्तर से कई समाज और राजनीतिक मुद्दों पर सवाल कर रही थी। योगी सरकार के नाम बदलो राजनीति से लेकर सभी अहम मुद्दों पर अपना बेबाक जवाब दे रहे थे।
मगर एंकर अंजना ओम कश्यप ने सवाल पूछ लिया कि नाम बदलने पर सवाल पूछा कि क्या नाम बदलना इतिहास को बदलने की साजिश तो नहीं है।
देश को स्मार्ट शहरों की ज़रूरत है, पुराने शहरों के नाम बदलने से शहर ‘स्मार्ट’ नहीं होंगे : जावेद अख्तर
जावेद अख्तर ने कहा कि ये सब बहुत छोटी और ऊपर ऊपर की चीजें है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ये सब आती हैं और आपको भी टीआरपी का फायदा होता है, बाकि कुछ नहीं होता इन सब चीजों कुछ दिन का शोर होता है बस।
आजतक साहित्य सम्मेलन में सभी साहित्यकारों ने जमकर नफरत फ़ैलाने वालों पर निशाना साधा। मगर मेजबानी कर रहे आजतक के एंकरों के पास सिवाए मुस्कुराने और ज़बरन ताली बजाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
दिन ब दिन ज़हरीली होती भारतीय पत्रकारिता! बहस के नाम पर चैनलों से बेची जा रही ‘नफ़रत’
इस मौके पर नाम बदलने की राजनीति पर कहा कि अब किसी तरह तो शहरों को स्मार्ट बनाया जाए, नाम ही बदलो। महत्वपूर्ण बात यह है, जिस पर कोई गौर नहीं कर रहा है कि इस देश में कम से कम 100-150 नए शहर बनने चाहिए।
आज गांवों से शहरों की ओर पलायन बड़े स्तर पर है। दिल्ली, कलकत्ता, मुंबई सब जगह ये हैं। आजादी के बाद से मुट्ठीभर शहर बने हैं। एक चंडीगढ़ बना है, नोएडा और गुड़गांव बने हैं। इसी तरह साउथ में एक-दो शहर हैं।