जम्मू कश्मीर में जैसे ही तीन दल एक साथ आने की बात करने लगे, महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात की, वैसे ही सकते में आई भाजपा ने राज्यपाल को आगे करके अपना खेल शुरू कर दिया ।

इधर गठबंधन की बातें तेज़ हुई और लगभग आखिरी मुहर लग चुकी थी कि उधर राज्यपाल ने अचानक विधानसभा भंग कर दिया।

इसे सिर्फ भाजपा और विरोधी दलों की प्रतिस्पर्धा के तौर पर ना देखकर लोकतंत्र की हत्या के तौर पर देखा जा रहा है।

क्योंकि राज्य की सरकार महीनों से गिरी हुई है अभी तक विधानसभा नहीं भंग की गई और अब अचानक जैसे ही तीन दलों ने मिलकर सरकार बनाने का दावा किया वैसे ही विधानसभा भंग कर दी गई ।

दरअसल महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन के दावे के साथ कहा था कि हमारे पास 56 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा है।

कांग्रेस के नेता प्रोफेसर सैफुद्दीन सोज ने इसे लोकतंत्र इसे अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती को इसके खिलाफ कोर्ट में जाना चाहिए।

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