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शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में राजकोषीय घाटा बढ़ा है. देश का राजकोषीय घाटा फरवरी 2019 के अंत तक पूरे साल के संशोधित बजट अनुमान के 134.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है. राजकोषीय घाटा बढ़ने की एक वजह राजस्व संग्रह (रिवेन्यू कलेक्शन) की वृद्धि कम रहने को बताया जा रहा है.
फरवरी तक सरकार का कुल खर्च 21.88 लाख करोड़ (बजट अनुमान का 89.1 %) और कुल प्राप्तियां 13.37 लाख करोड़ रुपये (बजटीय अनुमान का 73.4 %) रहीं।
लेखा महानियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-फरवरी, 2018-19 में राजकोषीय घाटा 8.51 लाख करोड़ रुपये रहा है जो पूरे साल के लिए संशोधित बजट अनुमान 6.34 लाख करोड़ रुपये से 134.2 प्रतिशत अधिक है. सुभाष चंद्र गर्ग आर्थिक मामलों के सचिव हैं. उन्होंने बताया की सरकार राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.4 प्रतिशत पर सीमित रखने को प्रतिबद्ध है. गर्ग ने बताया कि अधिक चुकौती के कारण सकल उधारी थोड़ा अधिक है.
आंकड़े बताते है, केंद्र सरकार का रिवेन्यू रिसिप्ट 12 .65 लाख रहा जो संशोधित बजट अनुमान का 73.2 प्रतिशत है. इससे पिछले वित्त वर्ष इतने ही समय अवधि में रेवेन्यू रिसिप्ट अनुमान का 78.2 प्रतिशत रहा था. अप्रैल-फरवरी, 2018-19 की अवधि में सरकार का कुल खर्च 21.88 लाख करोड़ रुपये रहा, जो की बजट अनुमान का 89.08 प्रतिशत था. इसमें से 19.15 लाख करोड़ रुपये रेवेन्यू अकाउंट का 2.73 लाख करोड़ रुपये कैपिटल अकाउंट का था.
इस बीच वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा कि फरवरी तक केंद्र सरकार ने राज्यों को कर में उनके हिस्से के तहत 5.96 लाख करोड़ रुपये स्थानांतरित किए. यह 2017-18 की समान अवधि से 67,043 करोड़ रुपये अधिक है.
सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की है कि वह 1 अप्रैल से शुरू होने जा रहे वित्त वर्ष 2019-20 के पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) के दौरान बजट अनुमान का 62 प्रतिशत से अधिक का उधार लेगी. सरकार के राजकोषीय घाटे (व्यय और आय के बीच अंतर) में कमी को पूरा करने के लिए उधार की आवश्यकता होती है.
चुनाव आने वाले हैं. कुछ महीनो में नई सरकार बनेगी. वित्तीय वर्ष ख़त्म होने में केवल दो दिन शेष रह गए है. अभी कुछ दिन पहले ही सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कड़ी चेतावनी भेजी थी. इस बार यानी 2018-19 के बजट में प्रत्यक्ष कर की वसूली का लक्ष्य 12 लाख करोड़ रखा गया था. वसूली अपने लक्ष्य से दो लाख करोड़ पीछे है. अभी तक 10.29 लाख करोड़ आयकर ही जमा हो सका है.
इसके पहले वित्त वर्ष की तुलना में 12.5 प्रतिशत अधिक वसूली हुई है मगर बजट में तय किए गए लक्ष्य से अभी काफी पीछे है. ये काफी चिंता का विषय है. देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति सही नहीं है. सरकार अपना कोई तय लक्ष्य पूरा नहीं कर सकी. हालत उथल-पुथल है. लगातार रिवेन्यू बढ़ाने और आ रही कमी को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन मौजूदा गति के हिसाब से रु. 50000 – 60000 करोड़ का शॉर्टफॉल मुमकिन है.