व्हाट्सएप ने एक सनसनीख़ेज़ खुलासा किया है। व्हाट्सएप ने दावा किया है कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके भारत के कई पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई।
इस ख़ुलासे के सामने आने के बाद प्रतिक्रियाओं का दौर शुरु हो गया है। विपक्षी नेताओं से लेकर पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता तक इस मामले को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर हो गए हैं। अब पत्रकार साक्षी जोशी ने भी इसपर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए तंज़ कसते हुए लिखा, “तो इसलिए इज़रायल दोस्त है। इसका ख़ुलासा करने के लिए व्हाट्सएप निदेशक का शुक्रिया”।
So this is why Israel is a friend.
Thanks to #Whatsapp director for revealing this.. https://t.co/p3FmhUHEhk— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) October 31, 2019
व्हाट्सएप का आरोप है कि इजरायली कंपनी एनएसओ ने फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेंजिंग प्लेटफॉर्म सर्विस के माध्यम से पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की है। एनएसओ पर स्पाईवेयर पेगासस के ज़रिए करीब 1,400 यूजर्स के निजी डाटा को चुराने का आरोप है। व्हाट्सएप ने हैकिंग की पुष्टि करते हुए इजरायली जासूसी कंपनी के खिलाफ़ मुकदमा भी दर्ज करा दिया है।
बता दें कि पेगासस को एनएसओ ने सरकारों के लिए बनाया है। इसका इस्तेमाल कोई आम आदमी नहीं कर सकता। ऐसे में ये बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि इसे भारतीय पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करने के लिए किसने इस्तेमाल किया? सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी मई के महीने में की गई, जिस वक्त भारत में लोकसभा चुनाव हो रहे थे।
महिला की जासूसी करवाने वाले मोटा भाई अब पत्रकारों-एक्टिविस्ट की जासूसी करवा रहे हैं : जिग्नेश
जानकारी के मुताबिक, भारत में करीब दो दर्जन वकील, प्रोफेसर, दलित कार्यकर्ता और पत्रकारों से व्हाट्सएप ने संपर्क किया था और उन्हें जानकारी दी थी कि मई में दो हफ्ते तक उनके फोन अत्याधुनिक सर्विलांस में थे।
हालांकि व्हाट्सएप ने भारत में सर्विलांस पर रखे गए लोगों की पहचान और ‘सटीक संख्या’ की जानकारी देने से इनकार कर दिया है।
वहीं एनएसओ ने व्हाट्सएप के लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। व्हाट्सएप के मुख्य अधिकारी कैथकार्ट ने कहा है कि वैसे तो एनएसओ कंपनी सरकार के लिए काम करती है, लेकिन हमनें अपनी रिसर्च में पाया है कि 100 से ज्यादा यूजर्स कंपनी के निशाने पर थे।