कन्हैया के लिए चुनाव प्रचार करने गए जावेद अख्तर ने भाजपा के लिए मांगे वोट ! बोले- गिरिराज को वोट दे दो एहसान तो मानेगा

2019 लोकसभा चुनाव में बेगूसराय सीट बेहद दिलचस्प हो चुकी है

यहां दक्षिणपंथी गिरिराज सिंह नाराज हैं कि उनकी पार्टी ने उनकी मनपसंद सीट नवादा से चुनाव नहीं लड़ने दिया

वामपंथी नाराज हैं कि कन्हैया कुमार को महागठबंधन ने समर्थन क्यों नहीं दिया।

आरजेडी के लोग नाराज हैं कि जीत के बेहद करीब दिख रहे तनवीर हसन को समर्थन देने के बजाय कन्हैया समेत तमाम लोग उनके खिलाफ झूठ और प्रचार क्यों कर रहे हैं।

जब से कन्हैया ने बेगूसराय से दावेदारी ठोकी है तब से मीडिया, बॉलीवुड सेलिब्रिटी और तमाम सामाजिक संगठनों के लोग वहां पहुंचे हुए हैं, तरह तरह से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

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मौके का फायदा उठाते हुए मीडिया भी जुट गया है और दक्षिणपंथी और वामपंथ की बायनरी में अपना फेवरेट एजेंडा ‘राष्ट्रवाद वर्सेज एंटी नेशनल’ की बहस पैदा कर रहा है।

मीडिया पूरी कोशिश कर रहा है कि महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन को चर्चा से बाहर रखा जाए। ऐसा करके वह बीजेपी के लिए जीत की संभावनाएं बढ़ाने में लगा हुआ है।

गौरतलब है कि कन्हैया कुमार को देशभर से तमाम संगठनों और व्यक्तियों द्वारा समर्थन मिल रहा है। अब जबकि बेगूसराय में वोटिंग के कुछ ही दिन बचे हैं तो कन्हैया कुमार के समर्थन में वोट मांगने के लिए प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर भी वहां पहुंचे हुए हैं ।

कन्हैया कुमार का समर्थन करने और महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन का विरोध करने तक का उनका इरादा तो जगजाहिर था लेकिन तनवीर हसन का विरोध करते करते वह बीजेपी के लिए वोट मांगने लगे जो हैरान करने वाला था।

जावेद अख्तर ने कहा- तनवीर हसन को वोट करने से अच्छा है सीधे गिरिराज सिंह को वोट कर दो, इससे कम से कम वो आपका एहसानमंद तो रहेगा ।

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इस बयान के बाद जावेद अख्तर की जगह जगह आलोचना होने लगी और लोग पूछने लगे कि क्या आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन उम्मीदवार तनवीर हसन के विरोध में आप इस कदर गिर जाएंगे कि भारतीय जनता पार्टी के लिए वोट मांगना शुरू कर देंगे ? वो भी सांप्रदायिक गिरिराज सिंह को बेहतर बताने लगेंगे ?

पहले तो लगा ये भावुकता में दिया गया बयान है लेकिन उसके बाद भी मीडिया ने जावेद अख्तर से इसपर सफाई मांगी तो जावेद अख्तर ने फिर वही बात दोहराई कि या तो कन्हैया को चुनो नहीं तो गिरिराज को वोट कर दो। क्योंकि तनवीर हसन को वोट देना वोट खराब करने जैसा होगा।

पहली बात तो जावेद अख्तर जो समीकरण बता रहे हैं वों जमीनी हालात से बिल्कुल उलट है।

दूसरी बात कि अगर तनवीर हसन किसी कारण से कमजोर उम्मीदवार लगते भी हैं तो क्या सांप्रदायिकता की राजनीति करने वाले गिरिराज सिंह  को उनसे बेहतर विकल्प बताना इस देश के अमनपसंद लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं है ?

मोदीराज में बढ़े सांप्रदायिक तनाव के इस दौर में जावेद अख्तर ने कई बार आवाज बुलंद की है। इसकी वजह से अमनपसंद जनता उनको सुनना और देखना पसंद करती है। लेकिन इस तरह से सांप्रदायिक भाजपा के अतिसांप्रदायिक उम्मीदवार गिरिराज सिंह को फायदा पहुंचाने वाले उनके इस बयान के बाद सेक्युलरिज्म में विश्वास रखने वाले लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

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