नोटबंदी को लेकर हुए नए ख़ुलासे के बाद केंद्र की मोदी सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। गुजरात के चर्चित दलित नेता और निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने इस ख़ुलासे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है।
उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “एक नंबर के चोर (चौकीदार) से सिर्फ इतनी विनती है कि 2019 के चुनाव में यह कहकर वोट मांगे कि हमने आरबीआई के मना करने पर भी नोटबंदी की थी। फिर देखिए, साहब को अपना सिक्योरिटी अपग्रेड करना पड़ेगा है कि नहीं! इस गुजराती ने तो गुजरात का नाम बर्बाद कर दिया है”।
एक नंबर के चौर (चौकीदार) से सिर्फ इतना बिनती है कि 2019 के चुनाव में यह कहकर वोट मांगे की हमने आरबीआई के मना कहने पर भी नोटबंधी किया था। फिर देखिए, साहब को अपना सिक्योरिटी अपग्रेड करना पडता है कि नहीं !
इस गुजराती ने तो गुजरात का नाम बर्बाद कर दिया है। @narendramodi
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) March 12, 2019
दरअसल, एक आरटीआई के ज़रिए इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का विरोध किया था। RBI का कहना था कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्ता को बड़ा नुकसान हो सकता है।
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इस खुलासे से सामने आया कि नोटबंदी के ऐलान के चंद घंटे पहले हुई RBI की बैठक में कहा गया था कि देश में कालेधन का बड़ा हिस्सा नकद के बजाए रियल एस्टेट यानी जमीन-जायदाद में लगाया गया है। ऐसे में नोटबंदी करने से कालेधन पर और जमीन-जायदाद पर कोई असर नहीं पड़ने वाला।
इस बैठक में आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के साथ ही मौजूदा गरवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे। इसी बैठक में आरबीआई के डायरेक्टर्स ने कहा था कि सिर्फ 400 करोड़ रुपए के फर्जी नोट बाजार में हैं, जबकि कुल नकदी 15 लाख करोड़ के आसपास है। ऐसे में यह रकम बेहद छोटी है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
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बैठक में एक और निष्कर्ष निकाला गया था कि नोटबंदी से दिहाड़ी मजदूर, होटलों और टैक्सी चलाने वालों समेत बस, ट्रेन और हवाई यात्रा करने वालों पर सबसे पहले और ज्यादा असर पड़ेगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान करते हुए कई बड़े-बड़े दावे किए थे। उन्होंने कहा था कि इससे कालाधन वापस आएगा, अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी और आतंकवाद पर लगाम कसेगी। लेकिन इनमें से कोई भी दावा सही साबित नहीं हुआ।