लोकसभा में गुरुवार को ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया। इस बिल को सदन में पास कराने के लिए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दलील दी कि यह बिल महिलाओं को उनके अधिकार और न्याय दिलाने के लिए है।

ट्रिपल तलाक पर कानून मंत्री द्वारा दी गई इस दलील के बाद अब सवाल यह उठ रहे हैं कि जो बीजेपी सरकार ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर महिलाओं के अधिकार की बात करती है वह सबरीमाला पर महिलाओं के अधिकार को कैसे दरकिनार कर देती है।

सवाल यह उठाए जा रहे हैं कि जिस तरह से ट्रिपल तलाक को बीजेपी महिलाओं के अधिकार का हनन बता रही है, उसी तरह वह सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को अधिकारों का हनन क्यों नहीं बताती।

सवाल पूछे जा रहे हैं कि महिलाओं के अधिकार की बात करने वाली बीजेपी सरकार का मंदिर में प्रवेश और ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर दोहरा स्टैंड क्यों है।

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आस्था की दोहाई देकर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बाबंदी की वकालत करने वाली बीजेपी ट्रिपल तलाक पर रोक लगाकर किस मुंह से महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने की बात करती है।

बीजेपी के इसी दोहरे रवैये पर पत्रकार आशुतोष मिश्रा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “लेकिन शबरीमाला में महिलाओं को वही अधिकार देने के आप खिलाफ हैं। महिलाओं के अधिकार के नाम पर यह दोहरा रवैया क्यों”?

बता दें कि गुरुवार को लोकसभा में मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक बिल को पास कर दिया गया। इसके पक्ष में 245 और 11 वोट पड़े। तीन तलाक में वोटिंग पर ओवैसी का प्रस्ताव गिरा।

ओवैसी की तरफ से लाए गए प्रस्ताव को सदन से मंजूरी नहीं मिली। वोटिंग में ओवैसी के प्रस्ताव के समर्थन में 15 वोट पड़े जबकि 236 सांसदों ने प्रस्ताव का विरोध किया। वहीं कांग्रेस और एआईएडीएमके ने वोटिंग शुरु होने से पहले ही सदन से वॉकआउट कर लिया।

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