लोकसभा में गुरुवार को दिनभर चली बहस के बाद ट्रिपल तलाक बिल पास हो गया। इसके पक्ष में 245 और विपक्ष में 11 वोट पड़े। इस बिल को सदन में पास कराने के लिए मोदी सरकार ने दलील दी कि यह बिल महिलाओं को उनके अधिकार और न्याय दिलाने के लिए लाया गया है।

वहीं विपक्ष ने इस बिल पर ऐतराज़ जताते हुए कहा कि सरकार इस बिल के ज़रिए मुसलमानों को निशाना बनाना चाहती है। उसका मकसद महिलाओं को अधिकार या न्याय दिलाना नहीं है।

ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन के चीफ असद्दुीन औवेसी ने कहा कि सरकार इस बिल के ज़रिए मुस्लिम पुरुषों को जेल भेजकर उनकी पत्नियों को सड़क पर लाना चाहती है।

उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी को सच में महिलाओं के अधिकार की चिंता होती तो वह महिलाओं का उत्पीड़न करने वाले एमजे अकबर को अपनी पार्टी से बाहर कर चुकी होती।

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औवेसी ने इस बिल पर सवाल खड़े करते हुए सदन में बहस के दौरान कहा, “इस बिल के कई प्रावधान असंवैधानिक हैं। इस बिल को संयुक्त चयन समिति को भेजना चाहिए। हमारे मुल्क़ में तलाक़ के कानून में अगर किसी हिंदू को एक साल की सज़ा का प्रावधान है तो मुसलमानों के लिए ये सज़ा तीन साल क्यों रखी गई है”?

उन्होंने कहा, “आप मुस्लिम औरतों के लिए नहीं काम कर रहे हैं. पूरे मुल्क में मी-टू अभियान हुआ था। कहां गए वो मंत्री जो पिछली बार खड़े थे। कहां गए वो। आप उस आदमी को पार्टी में जगह देते हैं और आप लोग हमको आइना दिखा रहे हैं”?

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बता दें कि गुरुवार को लोकसभा में मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक बिल को पास कर दिया गया। इसके पक्ष में 245 और 11 वोट पड़े। तीन तलाक में वोटिंग पर ओवैसी का प्रस्ताव गिरा।

ओवैसी की तरफ से लाए गए प्रस्ताव को सदन से मंजूरी नहीं मिली। वोटिंग में ओवैसी के प्रस्ताव के समर्थन में 15 वोट पड़े जबकि 236 सांसदों ने प्रस्ताव का विरोध किया। वहीं कांग्रेस और एआईएडीएमके ने वोटिंग शुरु होने से पहले ही सदन से वॉकआउट कर लिया।

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