हिमालच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता शान्ता कुमार ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में जाति आधारित आरक्षण को खत्म करने की बात लिखी है।
12 दिसंबर को शान्ता कुमार ने लिखा, सवर्ण आयोग के प्रश्न पर इतना बड़ा ऐतिहासिक प्रदर्शन धर्मशाला में हुआ कि सरकार को उसी समय उनकी मांग स्वीकार करनी पड़ी। ऐसा हिमाचल प्रदेश में पहले कभी नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि देश की लगभग 80 प्रतिशत जनता जाति आधारित आरक्षण से परेशान है। समय आ गया है जब जाति आधारित आरक्षण को पूरी तरह समाप्त करके केवल आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए।
शान्ता कुमार ने कहा, इतने लम्बे समय से आरक्षण का लाभ उठाने के बाद भी आरक्षित जातियों के गरीबों को पूरा लाभ नही मिला। ग्लोबल हंगर इन्डैक्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया के सबसे गरीब 130 देशों में नीचे 117 क्रमांक पर है। उसी रिपोर्ट में कहा है कि 19 करोड़ 40 लाख लोग लगभग भूखे पेट सोते हैं। इनमें एक अनुमान के अनुसार 12 करोड़ लोग आरक्षित जातियों के है।
आरक्षित जातियों में आरक्षण का लाभ ऊपर के लोगों को हुआ। कई बार यह मांग हुई कि उन जातियों की क्रिमीलेयर अर्थात अमीरों को आरक्षण से वंचित किया जाए परन्तु सभी पार्टियों के सभी आरक्षित जातियों के नेता उसी क्रिमीलेयर से आते है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा था परन्तु वह क्रिमीलेयर आज भी आरक्षण का लाभ उठा रही है।
उन्होंने कहा है कि एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और दूसरी तरफ 19 करोड़ गरीब रात को भूखे पेट सोते है। उन्होंने देश के नेताओं से आग्रह किया है कि जाति आधारित आरक्षण को तुरन्त समाप्त किया जाए नहीं तो धर्मशाला जैसा आन्दोलन अब पूरे देश में होगा। और अब होना भी चाहिए। उन्होंने कहा ऐसे महत्वपूर्ण आन्दोलन को शुरू होने से पहले ही वह पूरे समर्थन की घोषणा करते है।
पूर्व मुख्यमंत्री के इस फेसबुक पोस्ट पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है, ”बीजेपी का राष्ट्रीय नेता और हिमाचल प्रदेश का पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार शर्मा बोल रहा है आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था ख़त्म हो। आप विद्वत्समाज की इस पर क्या प्रतिक्रिया है? क्या शांता कुमार को बीजेपी पार्टी से बाहर करेगी? शांता कुमार का कहना है कि देश की 80% आबादी आरक्षण से परेशान है। ये 80% लोग कौन हैं? कहाँ रहते हैं?”