
भारत के दो बड़े केंद्रीय विश्वविद्यालयों: दिल्ली विश्वविद्यालय(DU) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के शीर्ष प्रशासन में होड़ मची है कि विश्वविद्यालय को ज्यादा तेजी से बर्बाद करने में कौन पहले कामयाब होगा!
हो सकता है, इन्हें लगता हो कि जो जितना कामयाब होगा, उसके कुलपति को उतना ही पहले ‘पद्मश्री’ या ‘पद्मभूषण’ से नवाजा जायेगा!
JNU प्रशासन हर दिन कोई न कोई विध्वंसक फरमान जारी करता है! DU भी उससे पीछे नहीं रहना चाहता!
लोकसभा चुनाव से पहले अब फिर JNU प्रशासन और केंद्र सरकार मिलकर छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान जैसे प्रतिभाशाली युवाओं को कथित देशद्रोह के मुकदमे में फंसाने में जुट गये हैं!
इतने लंबे वक्त तक पुलिस को कोई सबूत नहीं मिल रहा था, अब चुनाव से पहले इन युवाओं के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है! यह विचार ही हास्यास्पद और अविश्वसनीय है कि कन्हैया, उमर या अनिर्बान जैसे भारतीय समाज और संविधान के प्रति गहरी प्रतिबद्धता रखने वाले प्रतिभाशाली युवा कार्यकर्ता अपने ही मुल्क के खिलाफ नारेबाजी करेंगे!
प्रशासन के पास एक भी ऐसा सबूत नहीं पर केंद्र सरकार को खुश करने के लिए JNU प्रशासन ने अपने ही छात्रों पर संगीन धाराओं में मामला दर्ज कराया! दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन लंबे समय तक ‘फेक डिग्री-धारी’ ABVP के छात्रनेता अंकिव के खिलाफ कार्रवाई से बचता रहा।
कोर्ट के दबाव में उक्त छात्र नेता से छात्रसंघ के अध्यक्ष पद से उसके संगठन ने इस्तीफा कराया! पर विश्वविद्यालय कारवाई से बचता और डरता रहा! ABVP छात्र नेता की फर्जी डिग्री मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने अलग से किसी तरह की कार्रवाई नहीं की!
इस बात की भी कोई जांच नहीं कि फर्जी डिग्री के आधार पर DU में उसका दाखिला कैसे हुआ और वह किस तरह छात्र संघ का चुनाव लड़ने के योग्य मान लिया गया! विश्वविद्यालय में इस तरह के ढेरों फर्जी काम और फैसले किए जा रहे हैं!
हमारे शीर्ष और श्रेष्ठ संस्थानों को जिस तरह आज बर्बाद किया जा रहा है, वह अभूतपूर्व है! लोगों को अभी अंदाज नहीं कि देश और समाज को इसकी कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी!
– उर्मिलेश उर्मिल