जहां एक तरफ अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के इंसान से ज्यादा गाय को महत्व देने वाले बयान पर घमासान मचा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ नसीरुद्दीन शाह पक्ष में भी कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहें है।

पत्रकार और निर्देशक विनोद कापड़ी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जो नसीर साहब का डर है, हिंदू होते हुए वही डर मेरे जैसे उन करोड़ों भारतीयों का भी है जो देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब पर यकीन रखते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि दुर्भाग्य ये है कि दक्षिण कोरियाई पत्रकारों को नसीर साहब के इस डर पर भी आपत्ति है। पता नहीं गोद में बैठे बैठे कहाँ तक जाएँगे?

दरअसल कारवां-ए-मोहब्बत नाम के प्रोग्राम में नसीरुद्दीन कहते हैं, अब खुली छूट मिल गई है क़ानून को अपने हाथों में लेने की कई इलाकों में हम देख रहे हैं कि एक पुलिस इंस्पेक्टर की मौत से ज़्यादा एक गाय की मौत को अहमियत दी जा रही है।

बुलंदशहर में हमने देख लिया कि देश में अब ‘पुलिस ऑफिसर’ से ज्यादा एक ‘गाय’ की मौत की अहमियत है : नसीरुद्दीन शाह

ऐसे माहौल में मुझे अपनी औलादों के बारे में सोचकर फिक्र होती है। अगर कही मेरे बच्चों को भीड़ ने घेर लिया और उनसे पूछा जाए कि तुम हिंदू हो या मुसलमान?

मेरे बच्चों के पास इसका कोई जवाब नहीं होगा। देश के माहौल में काफ़ी ज़हर फैल चुका है। इसे जिन्न की बोतल में डालना मुश्किल दिख रहा है।

नसीरुद्दीन के इस बयान के बाद हमेशा की तरह उन्हें पाकिस्तान चले जाने की सलाह देने लगे वहीँ उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना के प्रमुख अमित जानी ने एक कदम आगे निकलते हुए नसीरुद्दीन शाह के लिए पाकिस्तान का टिकट बुक कर दिया है और ये टिकट नसीरुद्दीन शाह के घर पर भिजवा दिया।

नसीरुद्दीन शाह बोले- ये देश मेरा घर है, अपने घर में शिकायत करना ‘गद्दारी’ कैसे हो गई

जिसपर नसीरुद्दीन शाह ने एक बार फिर सफाई देते हुए कहा कि मैं पहले जो कहा वो एक चिंतित भारतीय होने के नाते कहा। मगर जो कह रहा हूँ उसके लिए मुझे गद्दार कहा जा रहा है।

मैं बस देश के प्रति अपनी चिंता व्यक्त कर रहा हूँ ये देश जिससे मैं प्यार करता हूँ ये मेरा घर है ये बोलना जुर्म से कैसे हुआ।

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