हिंदू आतंकी होता है? मुस्लिम आतंकी होता है? ऐसे सवाल फिर चुनावी रैलियों का हिस्सा बन रहे हैं। रोजगार, महंगाई, महिला सुरक्षा, पर्यावरण जैसा मुद्दें चुनाव से गायब नजर आ रहे हैं।

फिर हिंदू मुस्लिम डिबेट चल पड़ा है। दरअसल पिछले दिनों समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में पंचकुला की स्पेशल NIA कोर्ट ने असीमानंद समेत चारों अभियुक्तों को बरी कर दिया था। जिसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस को इस मामले में देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।

बीजेपी प्रवक्ताओं और गोदी मीडिया के बाद अब खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने चुनाव प्रचार में हिंदुत्व का मुद्दा उछालना शुरू कर दिया है।

एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस देश के करोड़ो लोगो पर हिंदू आतंकवाद का दाग लगाने का प्रयास कांग्रेस ने ही किया है। हजारों साल का इतिहास है, हिंदू कभी आतंकवाद फैलाए ऐसी एक भी घटना है क्या? अंग्रेज इतिहासकारों ने भी इस बात का ज़िक्र तक नहीं किया कि हिंदू हिंसक को सकता है।

ये बात कहते हुए शायद मोदी गोडसे को भूल गए। क्योंकि आज़ाद भारत का पहला आंतकी दक्षिणपंथी नाथूराम गोडसे ही था जिसने महात्मा गांधी की हत्या की। इस अपराध के लिए गोडसे को फांसी की सजा हुई। नाथूराम गोडसे धर्म से हिंदू था लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि सभी हिंदू आंतकी होते हैं।

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ठीक वैसे ही जैसे आंतकी मसूद अजहर धर्म से मुस्लिम है। लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं है कि मुस्लिमों को आंतक का पर्याय मान लिया जाए।

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है ‘स्वतंत्र भारत के इतिहास की पहली आतंकवादी घटना गांधी की दिनदहाड़े की गई हत्या थी। आतंकवादी हिंदू ब्राह्मण थे। फाँसी दी गई।’

पीएम मोदी के बयान पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा है ‘प्रधान मंत्री कहते है हिन्दु कभी आतंकवादी नहीं हो सकता! बिलकुल सही sir! Hindu आतंकवादी नहीं होता ना मुसलमान: हर समुदाय में लोग/संघटन मिलते है जो आतंक फैलाते है, कभी धर्म या ‘राष्ट्र’ के नाम पर:फिर वो LTTE हो या लश्कर,Godse या Masood Azhar,आइए इन सब के ख़िलाफ़ राजनीति से हटकर लड़े।’

बता दें कि जिस समझौता एक्सप्रेस के बारे में पीएम मोदी कांग्रेस पर निशाना साधने के बहाने हिंदुत्व का मुद्दा एक बार फिर चुनाव में ले आए है। उसी समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में फैसले की कॉपी में कहा गया है कि एनआईए ने जानबूझकर केस को कमज़ोर किया, जिसकी वजह से आरोपियों को सज़ा नहीं दी जा सकी।

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