
तमाम मशक़्क़तों, मान-मनव्वल और रस्साकशी के बाद आख़िरकार कांग्रेस आलाकमान ने मध्यप्रदेश के सीएम पद के लिए कमलनाथ को चुन लिया है।
72 साल के कमलनाथ 9 बार से छिंदवाड़ा से सांसद हैं, दशकों से कांग्रेस पार्टी के वफ़ादार हैं, संजय गांधी के अच्छे दोस्त रहे हैं, और इंदिरा गांधी उन्हें अपना तीसरा बेटा कहा करती थीं, वग़ैरह-वग़ैरह।
सादगी, सरल जीवन और व्यवहारिक स्वाभाव के बावजूद कमलनाथ के दामन पर दाग़ है 1984 के सिंख विरोधी दंगों का। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में और ख़ासकर दिल्ली में बड़े पैमाने पर हुए सिखों के क़त्ल-ए-आम के ख़ून के छींटो ने कमलनाथ का दामन भी दाग़दार किया।
1984 में दिल्ली में गुरुद्वारा रकाबगंज में लहू की प्यासी और सिखों को तबाह कर देने पर आमादा भीड़ जब दो सिखों को जलाकर मार रही थी, उस वक़्त कमलनाथ वहीं मौजूद थे, ऐसा उन पर इल्ज़ाम है।
बक़ौल कमलनाथ, उन्होंने कभी घटना के वक़्त मौक़ा-ए-वारदात पर अपनी मौजूदगी से इंकार नहीं किया, कमलनाथ के मुताबिक़ वो उस समय वहाँ पर थे, क्योंकि पार्टी ने वहाँ भेजा था, कमलनाथ कहते हैं कि मैं गुरुद्वारे पर इकट्ठा भीड़ से हमला न करने की मिन्नतें कर रहा था। पुलिस ने ख़ुद मुझसे भीड़ को समझाने की अपील की थी।
कमलनाथ आगे कहते हैं कि, 1984 सिख विरोधी दंगों की एसआईटी जांच, रंगनाथ मिश्रा कमीशन इन्कवायरी और जीटी नानावती कमीशन इन्कवायरी में वो पाक दामन निकले, उनके ख़िलाफ़ जांच में कुछ नहीं पाया गया। ज़रूरत पड़ने पर वो फिर से जांच के लिए तैयार हैं।
हांलाकि जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार का नाम जिस तरह दंगों में शामिल था, ऐसे लांछन से कमलनाथ हमेशा बचे रहें लेकिन जिस आदमी पर ऐसे संगीन आरोप हैं उसे ही कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में आख़िर क्यों चुना?
राहुल गांधी के नेतृत्व वाली नई कांग्रेस फ़िरक़ापरस्ती से लड़ने और ऐसी ताक़तों को दूर रखने की बात करती आई है। फिर कमलनाथ को मध्यप्रदेश का ताज आख़िर क्यों पहनाया जा रहा है?
अब कांग्रेस किस मुँह से नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं की मुख़ालफ़त करेगी?
हालांकि खुद नरेंद्र मोदी पर भी 2002 गुजरात दंगों के आरोप लगे थे, लेकिन कमलनाथ की तरह ही वो भी जांच में बरी हो गए थे। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा ने सोशल मीडिया पर नई बहस को शुरू कर दिया है।
बीेजेपी समर्थक 1984 का दंगा याद दिला रहे हैं तो कांग्रेस समर्थक 2002 का दंगा याद दिला रहे हैं। सोशल मीडिया की इसी बहस में शामिल होते हुए आप नेता और विधायक अल्का लांबा ने ट्वीट किया है कि…
“2002 वाला PM बन सकता है तो 1984 वाला CM क्यों नही बन सकता” ?
दुःखद , दुर्भाग्यपूर्ण. दोनों दंगों में जान खोने वाले निर्दोष लोगों को मेरी श्रद्धांजलि।