गोदी मीडिया और दरबारी मीडिया से इतर बेखौफ पत्रकारिता का डर आज भी सत्ता को सता रहा है। पिछले दिनों हिंदी न्यूज चैनल ABP News से एक साथ तीन पत्रकारों ने इस्तीफा दे दिया था। पुण्य प्रसून बाजपेयी, अभिसार शर्मा और मिलिंद खांडेकर।

मास्टरस्ट्रोक कार्यक्रम के एंकर पुण्य प्रसून बाजपेयी और अभिसार शर्मा ने अपने इस्तीफा की वजह मोदी सरकार को बताया था। अपने एक लेख में पुण्य प्रसून बाजपेयी ने लिखा था कि एबीपी न्यूज़ चैनल के प्रबंधन ने मोदी सरकार के आगे घुटने टेक दिए और इस वजह से उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा।

इस मामले में ताजा अपडेट ये है कि पुण्य प्रसून बाजपेयी ABP News में जिस शो को करते थे, उसके पुराने एपीसोड को यूट्यूब से हटाया जा रहा है। मास्टरस्ट्रोक के पुराने 27 एपीसोड यूट्यूब से हटाया जा चुका है। इस बात की जानकारी खुद पुण्य प्रसून बाजपेयी ने ट्विटर के माध्यम से दी है।

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उन्होंने ने मास्टरस्ट्रोक के सबसे चर्चित/विवादित एपीसोड का लिंक शेयर करते हुए लिखा है ‘साहेब का डर… अब ”मास्टरस्ट्रोक” के पुराने एपीसोड को यूट्यूब से हटाने का आदेश. 27 एपीसोड साफ़. पर सत्ता के झूठ को पकड़ने वाला ”सच” एपीसोड बचा हुआ है। देख लिजिए…’

सवाल उठता है कि क्या साहेब को पुण्य प्रसून बाजपेयी की पत्रकारिता से इतना डर लगता है कि उनके कार्यक्रम के पुराने एपीसोड भी हटवाए जा रहे हैं? क्या यही वो पत्रकारिता है जिससे सत्ताधारी धोखेबाजों को डर लगता है?

पुण्य प्रसून बाजपेयी ने जिस एपीसोड का लिंक शेयर किया है वो बहुत ही खास है। या फिर ये भी कह सकते हैं कि ये वही एपीसोड है जिसकी वजह से सत्ताधारियों ने इतना दबाव बनाया कि पुण्य प्रसून बाजपेयी को इस्तीफा देना पड़ा।

अपने एक लेख में इस एपीसोड जिक्र करते हुए पुण्य प्रसून बाजपेयी लिखते हैं… 20 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये किसान लाभार्थियों से बात की। उस बातचीत में सबसे आगे छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले के कन्हारपुरी गांव में रहने वाली चंद्रमणि कौशिक थीं।

उनसे जब प्रधानमंत्री ने कमाई के बारे में पूछा तो बेहद सरल तरीके से चंद्रमणि ने बताया कि उसकी आय कैसे दोगुनी हो गई। आय दोगुनी हो जाने की बात सुनकर प्रधानमंत्री खुश हो गए, खिलखिलाने लगे, क्योंकि किसानों की आय दोगुनी होने का लक्ष्य प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2022 में रखा है।

पर लाइव टेलीकास्ट में कोई किसान कहे कि उसकी आय दोगुनी हो गई तो प्रधानमंत्री का खुश होना तो बनता है। पर रिपोर्टर-संपादक के दृष्टिकोण से हमें ये सच पचा नहीं क्योंकि छत्तीसगढ़ यूं भी देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है, फिर कांकेर ज़िला, जिसके बारे में सरकारी रिपोर्ट ही कहती है कि जो अब भी कांकेर के बारे में सरकारी वेबसाइट पर दर्ज है कि ये दुनिया के सबसे पिछड़े इलाके यानी अफ्रीका या अफगानिस्तान की तरह है।

ऐसे में यहां की कोई महिला किसान आय दोगुनी होने की बात कह रही है तो रिपोर्टर को ख़ासकर इसी रिपोर्ट के लिए वहां भेजा गया। 14 दिन बाद 6 जुलाई को जब ये रिपोर्ट दिखायी गई कि कैसे महिला को दिल्ली से गए अधिकारियों ने ट्रेनिंग दी कि उसे प्रधानमंत्री के सामने क्या बोलना है, कैसे बोलना है और कैसे आय दोगुनी होने की बात कहनी है।

इस रिपोर्ट को दिखाये जाने के बाद छत्तीसगढ़ में ही ये सवाल होने लगे कि कैसे चुनाव जीतने के लिए छत्तीसगढ़ की महिला को ट्रेनिंग दी गई। यानी इस रिपोर्ट ने तीन सवालों को जन्म दे दिया।

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पहला, क्या अधिकारी प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए ये सब करते हैं। दूसरा, क्या प्रधानमंत्री चाहते हैं कि सिर्फ़ उनकी वाहवाही हो तो झूठ बोलने की ट्रेनिंग दी जाती है। तीसरा, क्या प्रचार-प्रसार का यही तंत्र ही है जो चुनाव जिता सकता है।

हो जो भी पर इस रिपोर्ट से आहत मोदी सरकार ने एबीपी न्यूज़ चैनल पर सीधा हमला ये कहकर शुरू किया कि जान-बूझकर ग़लत और झूठी रिपोर्ट दिखायी गई। और बाकायदा सूचना एवं प्रसारण मंत्री समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों ने एक सरीखे ट्वीट किए और चैनल की साख़ पर ही सवाल उठा दिए। ज़ाहिर है ये दबाव था। सब समझ रहे थे।

ऐसे में तथ्यों के साथ दोबारा रिपोर्ट फाइल करने के लिए जब रिपोर्टर ज्ञानेंद्र तिवारी को भेजा गया तो गांव का नज़ारा ही कुछ अलग हो गया। मसलन गांव में पुलिस पहुंच चुकी थी। राज्य सरकार के बड़े अधिकारी इस भरोसे के साथ भेजे गए थे कि रिपोर्टर दोबारा उस महिला तक पहुंच न सके।

पर रिपोर्टर की सक्रियता और भ्रष्टाचार को छिपाने पहुंचे अधिकारी या पुलिसकर्मियों में इतना नैतिक बल न था या वह इतने अनुशासन में रहने वाले नहीं थे कि रात तक डटे रहते, तो दिन के उजाले में खानापूर्ति कर वे अधिकारी लौट आए।

शाम ढलने से पहले ही गांव के लोगों ने और दोगुनी आय कहने वाली महिला समेत उनके साथ काम करने वाली 12 महिलाओं के समूह ने चुप्पी तोड़कर सच बता दिया कि हालत तो और खस्ता हो गई है।

9 जुलाई को इस रिपोर्ट के ‘सच’ शीर्षक के प्रसारण के बाद सत्ता-सरकार की खामोशी ने संकेत तो दिए कि वह कुछ करेगी और उसी रात सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन काम करने वाले न्यूज़ चैनल मॉनिटरिंग की टीम में से एक शख़्स ने फोन से जानकारी दी कि आपके मास्टरस्ट्रोक चलने के बाद से सरकार में हड़कंप मचा हुआ है।

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