महाराष्ट्र, चेन्नई, बुंदेलखंड सहित देश के बड़े हिस्से में पानी की समस्या राष्ट्रीय चिंता का विषय बनती जा रही है। मगर देश का मीडिया अभी भी जल संकट पर नहीं बल्कि नवनिर्वाचित सांसद और अभिनेत्री नुसरत जहां के सिंदूर और ज़ायरा वसीम के बॉलीवुड छोड़ने पर बहस कर रहा है। हालाकिं पीएम मोदी ने भी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस मुद्दे पर बात की थी।

दरअसल तमिलनाडु में जल संकट का कारण है कि वहां 2000 से ज्यादा बड़े तालाब और झील पूरी तरह सूख चुके हैं। अब वहां एक बूंद पानी भी नहीं है। हालत ये है की राजधानी चेन्नई में गांवों में स्थिति भयावह हो गई है तो शहरों में भी लोगों को खरीदकर पानी पीना पड़ रहा है। आज इसे लेकर तमिलनाडु के सभी राजनीतिक दल एक सुर में इस मुद्दे पर बोल रहें है।

द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन इस मुद्दे पर चेन्नई में धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने 24 जून को तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्ना द्रमुक सरकार पर आरोप लगाया कि जब शहर को जल आपूर्ति करने वाली झीलें सूख रही थीं तब मौजूदा सरकार ने जल संकट को दूर करने में सक्रियता नहीं दिखाई।

साल 2015 में जल संसाधन पर बने एक स्टैंडिंग कमिटी ने कहा- भूमिगत जल के इसी दोहन का परिणाम है कि साल 2007 से 2017 के बीच देश में भूमिगत जल के लेयर में 61 फीसदी की कमी आई है।

ये आंकड़े सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने पिछले साल लोकसभा में पेश किया था। इस रिपोर्ट का जल संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत तैयार किया गया है। ग्राउंड वाटर में कमी के पीछे जनसंख्या में वृद्धि, तेजी से शहरीकरण, औद्योगिकरण और कम वर्षा को माना गया है।

यहां ये भी बताना ज़रूरी है कि देश की वर्तमान स्थिति यह है कि ग्रामीण भारत के लगभग 80 प्रतिशत घरों में नलों के जरिए पानी नहीं आता। उत्तर प्रदेश, बिहार, असम और ओडिशा की स्थिति इतनी बुरी है कि पांच प्रतिशत से भी कम ग्रामीण घरों में पानी पहुंचा है।

शहरों का इतना बुरा हाल है कि चेन्नई में इस मौसम में पानी सिर्फ वीआईपी घरों में मिल रहा है। आम आदमी आधी रात टैंकरों से दो बाल्टी पानी लेने के लिए गुजार देते हैं।

ऐसे में मीडिया का काम क्या होना चाहिए? कि वो जागरूकता फैलाता, इस मुद्दे पर बहस करता और राज्य सरकारों से जल संकट से निपटने के सवाल करता।

मगर मीडिया गहरी नींद में सो रहा है वो कब उठेगा? कैसे उठेगा? और अभी तक इस मुद्दे पर जोर क्यों नहीं दे पाया है ये भी एक सवाल ही है। जिसका जवाब सिर्फ मीडिया ही दे सकता है।

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