हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने पत्रकार रुबिका लियाकत को इंटरव्यू दिया। इंटरव्यू में व्यक्तिगत सवाल भी शामिल थे। मोदी इन सबके जवाब देने में हिचकिचाए नहीं। रुबिका ने मोदी से सवाल किया की वे इतना काम करते हैं, बावजूद इसके वो थकते क्यों नहीं हैं।

रुबिका ने गंभीर होकर ये प्रशन किया. उन्होंने कहा, ‘मेरी भी दो आंखें है, आपकी भी दो आंखे हैं. मै भी थक जाती हूं और कहती हूं की अब कोई काम नहीं । सच बताइए, आप थकते क्यों नहीं हैं? आप अपनी कुर्सी को लेकर पोजेसिव हैं या आपको मज़ा आता है काम करने । क्या आप कोई टॉनिक लेते हैं, राज़ क्या है?’

रुबिका लियाकत के इस सवाल का सोशल मीडिया पर जमकर मजाक बनाया जा रहा है। क्योंकि भारत एक ऐसा देश हैं जहां 144 मिलियन कृषि मजदूर हैं। जो दिन भर धूप में काम करते हैं। हल चलाते हैं। बिना ऐसी, फ्रिज या कोई सुविधा गर्मियां बीत जाती।

देश में 150 रुपये दिहाड़ी पर भठ्ठे के मजदूर हफ्ते के सात दिन रोज 11 घंटे ईंट ढ़ोते हैं। एक 3-एकड़ किसान की वार्षिक आय एक आईटी क्षेत्र या कॉर्पोरेट नौसिखिया की तुलना में बहुत कम है। वो न ही कोई टॉनिक ले सकते हैं और न ही बीमार होने पर दवाई का खर्चा उठा सकते हैं।

मोदी से ज़्यादा पसीना बहाने के बावजूद इनकी आर्थिक तुलना पीमए से दूर दूर तक नहीं की जा सकती जिनका आधा कार्यकाल विदेश में बीता। ऐसे रूबिका का सवाल पत्रकारिता के पतन को दर्शाता है।

पत्रकारिता के इसी गिरते स्तर पर तंज कसते हुए आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांण्डेय ने ट्वीट किया है कि उफ़्फ़, इतना कठिन सवाल, और मोदी जी… मतलब अंदाज़ देखा, रियेक्ट करने का… गज़ब बवाल भाई साब। सत्यानाश कर रक्खा है पत्रकारिता, ये बार बार बताने के लिए शुक्रिया

एक और ट्वीटर यूजर ने लिखा है रूबिका लियाकत और सुमित अवस्थी को इंटरव्यू दे दिया। रवीश कुमार से इतना क्यों डरते हैं साहेब ? सिर्फ़ इसलिए क्योंकि चाटूकारिता और जी हुजूरी वाले सवाल नहीं एनडीटीवी पर मुद्दे वाले सवाल किए जाएंगे।

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