महामारी को मौका बनाते हुए मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

कोविड और लॉकडाउन के वजह से भले ही पेट्रोल और डीजल की बिक्री उतनी नहीं हुई लेकिन फिर भी सरकार ने टैक्स के रूप में बहुत बड़ी रकम कमा ली है।

केंद्र सरकार के टैक्स कलेक्शन में साल 2020-21 में 88 फीसदी की बढ़त हुई है। सरकार के कुल टैक्स की राशि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 3 लाख करोड़ से ज्यादा जमा हुई है।

वहीं साल 2020 में मार्च के आखिरी हफ्ते से लेकर मई तक प्रति लीटर पेट्रोल में एक्साइज़ ड्यूटी 13 रूपए तक बढ़ायी और प्रति लीटर डीजल में 16 रूपए तक बढ़ायी है।

वित्त मंत्रालय ने आज राज्यसभा में कहा है कि GST Council की तरफ से अब तक पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं आया है।

वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि पेट्रोलियम पर एक्साइज ड्यूटी का इस्तेमाल इन्फ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट वर्क्स के लिए होता है, वर्तमान में राजकोषीय हालत को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

डिब्रूगढ़ से भाजपा सांसद रामेश्वर तेली ने लोकसभा में पेट्रोल औऱ डीजल पर लगने वाली एक्साइज़ ड्यूटी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार की तरफ से वसूले जाने वाले टैक्स में 88 फीसदी का उछाल आया है और यह राशि 3.35 लाख करोड़ तक पहुंची।

पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी यानी उत्पाद शुल्क 19.98 रुपए से बढ़कर 32.90 रुपए पर पहुंच गया. वहीं डीजल पर उत्पाद शुल्क 15.83 से बढ़कर 31.80 रुपए पर पहुंच चुका है।

पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज़ ड्यूटी की वसूली के बारे में वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी फेसबुक पोस्ट के जरिए लिखा, “पेट्रोल-डीज़ल पर उत्पाद शुल्क के नाम पर केंद्र सरकार ने वसूले 3 लाख करोड़। मार्च से मई 2020 के बीच केंद्र सरकार पेट्रोल पर 13 रुपये और डीज़ल पर 16 रुपये उत्पाद शुल्क वसूला करती थी।

लेकिन उसके बाद इसे बढ़ा कर पेट्रोल पर 32.98 रुपये कर दिया गया और डीज़ल पर 28.35 रुपये।पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 65 प्रतिशत की वृद्दि कर दी गई और डीज़ल पर 79 प्रतिशत की।

2019-20 में डीज़ल से उत्पाद शुल्क की वसूली 1,12,032 करोड़ की थी जो 20-21 के साल में दो लाख तीस हज़ार करोड़ हो गई है। इसी दौरान पेट्रोल से मिलने वाला उत्पाद शुल्क 66,279 करोड़ से बढ़ कर 1 लाख करोड़ हो गया। ”

फिलहाल जुलाई महीने में अब तक पेट्रोल के दाम में कुल 9 बार बढ़ोतरी हो चुकी है। जबकि, डीज़ल 5 बार महंगा और एक बार सस्ताी हो चुका है। इसके पहले जून और मई महीने में भी पेट्रोल-डीज़ल के दाम में 16-16 बार बढ़ोतरी हुई थी।

आम आदमी पेट्रोल और डीजल के इन बढ़े हुए दामों का सामना कैसे करेगा इस पर किसी तरह की बात वित्त मंत्रालय नहीं की है। बल्कि टैक्स वसूलने की वजहें समझायी हैं।

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