लोकसभा चुनाव के दौरान सेना के नाम पर वोट तो खूब बटोरे गए। मगर अब वही सेना के जवान बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के काम करने को मजबूर हैं। यहां तक कि कश्मीर में सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए आतंकी स्टील बुलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। मगर सेना के जवानों के पास इन बुलेट को रोकने वाले बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं हैं।

दरअसल इसी साल अप्रैल में सेना के जवानों के लिए तीन लाख से ज्यादा बुलेट प्रूफ जैकेट की ज़रूरत बताई गई। जिसे लेकर सरकार ने करार भी किया हुआ है मगर अभी सिर्फ 10 हज़ार नए बुलेट प्रूफ जैकेट ही मिल पाए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले महीने अनंतनाग में जब आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर हमला किया तो स्टील बुलेट का भी इस्तेमाल हुआ था। जांच में ये बात सामने आई थी कि स्टील बुलेट ने कई जवानों के बुलेट प्रूफ जैकेट को नुकसान पहुँचाया था। आतंकी पिछले कुछ सालों से स्टील बुलेट का इस्तेमाल कर रहें है।

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मीडिया से बात से करते हुए सेना के अधिकारी नेता बताया कि अभी सेना के पास जो बुलेट प्रूफ जैकेट है वो तीसरी श्रेणी में आती है। अधिकारी का कहना है कि जो नए जैकेट का करार हुआ वो पुराने से कही बेहतर है जोकि 3 प्लस श्रेणी में आती है। अधिकारी का मानना है की नई बुलेट प्रूफ जैकेट स्टील बुलेट को रोक पाने में सक्षम है, जोकि जवानों की जान बचा पायेगी।

गौरतलब हो कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों राज्यसभा में इस मामले पर जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि बुलेटप्रूफ जैकेट की कमी ज्यादा रहती थी। उन्होंने कहा था कि इसे देखते हुए एक लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने का करार किया गया है। जिसमें से इसी साल मार्च में 10 हजार जैकेट आ गई हैं।

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सिंह ने सदन में जानकारी देते हुए कहा था कि 37 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट अक्टूबर तक आएंगी और अगले साल अप्रैल तक सारी एक लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की डिलिवरी हो जाएगी। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जैसे बुलेट प्रूफ जैकेट की इतनी ज़रूरत है तो ये युद्ध स्तर पर होनी चाहिए।

ऐसे में सरकार राफेल विमान की तरह बुलेट प्रूफ जैकेट की इमरजेंसी डिलीवरी क्यों नहीं करवा रही है। क्या सेना के जवानों को जल्द से जल्द बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं दी सकती है। कबतक सामानों की कमी चलते जवान अपनी जान गंवाते रहेंगे, इसकी जवाबदेही किसकी है? सेना के नाम वोट मांगने वाली सरकार की या फिर इसके लिए भी देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ज़िम्मेदार है।

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