वैसे तो अब तक आतंकवाद की कोई निश्चित परिभाषा तय नहीं हो पायी है। लेकिन यूएपीए ऐक्ट के सेक्शन 15 के अनुसार भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को संकट में डालने या संकट में डालने की संभावना के इरादे से भारत में या विदेश में जनता या जनता के किसी तबक़े में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य ‘आतंकवादी कृत्य’ है।

अगर भारत सरकार की ही इस परिभाषा की रोशनी में हरिद्वार में हुए हालिया ‘धर्म संसद’ को देखेंगे तो देश में हिन्दुत्व के नाम पर उभर रहे आतंकवाद का भयावह चेहरा नज़र आने लगेगा! जी हाँ, हिन्दू आतंकवाद अब अफवाह की केंचुल से निकलकर वास्तविकता के पटल पर तेजी से पसर रहा है।

हरिद्वार का हालिया ‘धर्म संसद’ भारत में हिन्दुत्व के नाम पर फैल रहे आतंकवाद का सबसे पुष्ट उदाहरण है। इस धर्म संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गोली मारने से लेकर, मुसलमानों के नरंसहार, और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने तक की धमकी दी गई। साथ ही भारत को ‘हिंदू राष्‍ट्र’ बनाने के लिए हर संभव संघर्ष करने का भी आह्वान किया गया।

खून की प्यासी इस धर्म संसद का आयोजन हिन्दू अतिवादी यति नरसिंहानंद ने किया था। 17 से 19 दिसंबर तक उत्तराखंड के हरिद्वार में चले इस तीन दिवसीय हेट स्पीच सम्मेलन में अल्पसंख्यकों को मारने और उनके धार्मिक स्थलों पर हमला करने का भी आह्वान किया गया।

वैसे इस तरह के आयोजन में भाजपा नेताओं का शामिल होना कोई आश्चर्यजनक बात तो नहीं है लेकिन फिर भी बता देते हैं कि बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय आतंक के इस समागम में वक्ता के रूप में शामिल थे। इसके अलावा निरंजिनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा की महासचिव अन्नपूर्णा मां, बिहार के धर्मदास महाराज, आनंद स्वरूप महाराज, गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर का कुख्यात पुजारी यति नरसिंहानंद, सागर सिंधुराज महाराज जैसे अतिवादी हिन्दू कट्टरपंथी शामिल थे।

दी क्विंट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुसलमानों के खिलाफ सशस्त्र हिंसा को भड़काने के लिए ‘शस्त्र मेव जयते’ का नारा देते हुए नरसिंहानंद ने कहा “आर्थिक बहिष्कार से काम नहीं चलेगा। हिंदू समूहों को खुद को अपडेट करने की जरूरत है। तलवारें मंच पर ही अच्छी लगती हैं। ये लड़ाई बेहतर हथियार वाले लोग ही जीतेंगे।”

इस बीच, सागर सिंधुराज महाराज ने जोर देकर कहा, “मैं बार-बार कहता हूं मोबाइल 5000 वाला भी चल जाएगा, लेकिन शस्त्र कम से कम एक लाख रुपए वाला होना चाहिए। आपके घर में हमेशा कम से कम लाठी और तलवारें तो होनी ही चाहिए।”  

हिंदू राष्ट्र की स्थापना की मांग करते हुए आनंद स्वरूप महाराज ने कहा, “अगर सरकारें हमारी मांग नहीं सुनती हैं (उनका मतलब अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के माध्यम से एक हिंदू राष्ट्र की स्थापना) है, तो हम 1857 के विद्रोह की तुलना में कहीं अधिक भयानक युद्ध छेड़ेंगे।”

बिहार के धर्मदास महाराज ने कहा, “अगर मैं संसद में मौजूद होता जब पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का पहला अधिकार है, तो मैं नाथूराम गोडसे का अनुसरण करता, मैंने उनके सीने में छह बार रिवॉल्वर से गोली मार दी होती।”

निरंजिनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा की महासचिव अन्नपूर्णा मां ने कहा, “अगर आप उन्हें खत्म करना चाहते हैं, तो उन्हें मार डालें… हमें 100 सैनिकों की जरूरत है जो इसे जीतने के लिए 20 लाख को मार सकें।”

यहां हम सभी हिन्दू अतिवादियों के भाषण का छोटा सा हिस्सा बता रहे हैं। हम जो बता रहे हैं इसके अलावा भी उन्होंने बहुत जहर उगला है जिसका वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। तृणमूल कांग्रेस नेता और आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने इस मामले में आयोजकों और वक्‍ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई कदम उठाया गया हो… इसकी जानकारी मीडिया में मौजूद नहीं है।

नफरत और नरसंहार के आह्वान वाले इस कॉन्क्लेव की जानकारी भले ही पुलिस तक ना पहुंची हो लेकिन कॉमेडी शो का खतरा पुलिस तुरंत भाप जाती है। समाज के एक बड़े हिस्से को आतंकित करने वाले इस आयोजन के खिलाफ सरकार और प्रशासन द्वारा कितनी कार्रवाई की जाएगी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग इसी तरह का प्रोग्राम राजधानी दिल्ली में उस व्यक्ति के नेतृत्व में आयोजित किया गया जो खुद एक टीवी चैनल चलाता है… जाहिर है ऐसे साम्प्रदायिक तत्वों को भरोसा है कि इस खास किस्म के आतंकवाद की वजह से उन्हें दन्डित नहीं बल्कि सम्मानित किया जाएगा।

वीडियोः Haridwar में Muslims से नफ़रत की महापंचायत, नाम रखा-धर्म संसद

 

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