देश का एक बड़ा हिस्सा सीडीएस बिपिन रावत के आकस्मिक निधन से दुखी है। स्वघोषित मेनस्ट्रीम मीडिया इसे एक इवेंट की तरह कवर कर रहा है। किसी के दुःख को विज्ञापनदाताओं से कैश कराने का ये असंवेदनशील धंधा टीवी मीडिया अपने जन्म के कुछ साल बाद से ही कर रहा है। लेकिन दुःख को बेचने की ये हवस अब इतनी घिनौनी हो चुकी है कि लाइव शो में मौत का मजाक बनाया जा रहा है।
कल रात आठ बजे के अपने प्रोग्राम में न्यूज नेशन के कंस्लटिंग एडिटर दीपक चौरसिया ने जो किया वो टीवी मीडिया के धंधे का असली चेहरा है। दीपक अपनी लड़खड़ाती आवाज़ में सीडीएस बिपिन रावत को श्रद्धांजलि देते हुए वीपी सिंह का नाम ले रहे हैं। चलिए हम मान लेते हैं कि वो इस घटना से इतने आहत हैं कि उनकी आवाज़ लड़खड़ा रही है। लेकिन ये कैस मान लें कि जिस व्यक्ति के लिए दुःखी हैं उसका नाम भी याद नहीं है। बता दें कि वीपी सिंह नामक एक व्यक्ति (विश्वनाथ प्रताप सिंह) भारत के 8वें प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
ख़ैर, चलिए ये भी मान लेते हैं कि दीपक चौरसिया इतने ज्यादा परेशान थे कि एक बार गलती से गलत नाम ले लिया। लेकिन समस्या ये है कि जिस सीडीएस बिपिन रावत को उन्होंने जनरल वीपी सिंह बोला था, उसे अगले ही पल जनरल से जर्नलिस्ट बना दिया।
ये किसी की मौत का मजाक नहीं तो और क्या है? दीपक चौरसिया के इस प्रोग्राम का वीडियो न्यूज नेशन ने अपने यूट्यूब चैनल से हटा दिया है। हालांकि सचेत सोशल मीडिया यूजर्स की बदौलत वीडियो को अब भी देखा जा सकता है।
What happened to @DChaurasia2312? Is he not well? Why was he removed from his show 'Desh ki Behas' in mins? Why is his show not uploaded on YT? Didn't look like he was in his usual sense. Nothing he spoke made sense too. Referred to Gen Bipin Rawat as VP Singh & many such errors pic.twitter.com/7YBSUV3TFl
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) December 10, 2021
राष्ट्रवाद के नाम पर नफरत बेचने वाले दीपक चौरसिया का ये वीडियो मीडिया द्वारा शहीदों के दुःख को बेचने का प्रमाण है। हमारे पास ब्रेथ एनालाइजर की कोई रिपोर्ट नहीं है लेकिन वीडियो से ये साफ संकेत मिल रहा है कि वो होश में नहीं हैं। सोशल मीडिया पर उनके शराब के नशे में होने की बात लिखी जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दीपक चौरसिया देश की करोड़ों जनता को नशे में न्यूज सुनाते हैं? अगर इसका जवाब ‘हाँ’ है तो फिर आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि जिस स्तर का न्यूज रूपी कूड़ा टीवी पर परोसा जाता है वो होश में रहकर करना मुश्किल ही है!
deepak chaurasia few mins before going live https://t.co/FbUuHiBooa pic.twitter.com/GyliADHDct
— Jay Kholiya. (@jayykholiya) December 10, 2021
नशा करना या ना करना किसी का व्यक्तिगत मामला हो सकता है। लेकिन नशे में करोड़ों लोगों को सूचना देना कतई निजी मामला नहीं है। टीवी मीडिया का जितना शक्तिशाली प्रभाव आम लोगों पर पड़ता है उसे ध्यान में रखें तो ये मामला किसी भी क्रिमिनल ऑफेंस से कम नहीं है। अगर दीपक चौरसिया नशे में नहीं थे तो क्या वो अभिनय कर रहे थे? अगर हाँ, तो सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें कि उन्हें सीडीएस बिपिन रावत की मौत पर अभिनय करने की सूझ रही थी।
फिलहाल गनीमत ये कि दीपक चौरसिया के ‘हिंदू बचाने वाले’ फैन उनके बचाव में तर्क नहीं गढ़ रहे। हालांकि जैसा दीपक के फैन्स का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है वो ये भी कह सकते हैं कि क्या एक हिन्दू दारू पीकर एंकरिंग भी नहीं कर सकता? या ये भी कहा जा सकता है कि दीपक इतने ज्यादा दुखी थे कि दारू पीकर गम कम कर रहे थे।