प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 दिसंबर को फिल्म और मनोरंजन उद्योग के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास पर हुए इस मुलाकात में अक्षय कुमार, अजय देवगन, फिल्म निर्माता रितेश सिधवानी, करण जोहर, फिल्म निर्माता गिल्ड के अध्यक्ष सिद्धार्थ रॉय कपूर, राकेश रोशन, रोनी स्क्रूवाला और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी… आदि शामिल थे।

खबरों की माने तो इस बैठक में मनोरंजन जगत की समस्याओं पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने इस बैठक की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है ‘फिल्म और मनोरंजन उद्योग से एक प्रतिनिधिमंडल के साथ व्यापक और उपयोगी बातचीत हुई। प्रतिनिधिमंडल ने फिल्म और मनोरंजन उद्योग द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में बात की, और अपने क्षेत्र के लिए जीएसटी से संबंधित मूल्यवान इनपुट दिए।’

फोटो देखकर पता लगता है कि लगभग 20 लोगों का डेलिगेशन प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचा था। अब ध्यान देने वाले बात ये है कि इन 20 लोगों में एक भी महिला नहीं है। क्या आप बिना महिलाओं के इंडियन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की कल्पना कर सकते हैं?

जाहिर है महिलाओं के बिना इंडियन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की कल्पना मुमकिन नहीं है। इस इंडस्ट्री में महिलाओं की दखल लगभग पचास प्रतिशत है, भले ही प्रभाव पुरुषों से कम हो। लेकिन डेलिगेशन में एक भी महिलाओं का ना होना इंडस्ट्री के पितृसत्तामक व्यवस्था को दर्शाता है।

ये इंडस्ट्री मर्दों की चड्ढी बेचने के लिए भी महिलाओं का इस्तेमाल तो करता है लेकिन की इंडस्ट्री की समस्या पर चर्चा करने के लिए महिलाओं को शामिल नहीं करता है। जबकि अभी कुछ दिनों पहले ही #MeToo जैसा बड़ा मूवमेंट इसी फिल्म इंडस्ट्री से शुरू हुआ था। इंडस्ट्री की कई महिलाओं ने अपने साथ हुए शोषण पर खुलकर बोला था। बावजूद इसके इंडस्ट्री की समस्या पर चर्चा करने के लिए जो प्रतिनिधिमंडल गया उसमें महिलाएं नहीं थी।

ये तथ्य शर्मनाक से आगे का कुछ है। आश्चर्य की बात तो ये भी है कि प्रतिनिधिमंडल की इस रूप रेखा पर पीएम मोदी ने किसी तरह की आपत्ति नहीं जतायी। क्या पीएम मोदी के दिमाग में एक बार भी ये सवाल नहीं आया कि प्रतिनिधिमंडल में एक भी महिला नहीं है? या पीएम मोदी खुद पितृसत्तामक व्यवस्था के समर्थ हैं, क्योंकि उनकी सरकार को साढ़े चार साल हो चुके हैं लेकिन उन्होंने अभी तक महिला आरक्षण बिल पास नहीं किया।

पीएम मोदी ने इस बैठक को लेकर जो ट्वीट किया उसे रिट्वीट करते हुए कई महिला पत्रकारों, महिला फिल्मकारों, महिला छात्र नेता ने प्रतिनिधिमंडल में महिला प्रतिनिधित्व का सवाल उठाया।

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