पिछले कुछ वर्षों में ईवीएम की विश्वनीयता पर गंभीर सवाल उठे हैं। ईवीएम की विश्वनीयता के सवाल के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का जबरदस्त उभार हुआ है। विपक्षी पार्टियाँ एक सुर में EVM बैन करने की मांग करती रही हैं। साथ ही वापस बैलट पेपर से चुनाव करने की पक्षधर रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता भी अब ईवीएम बैन की मांग करने लगे हैं।

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने से पहले राजनैतिक गलियारे में ईवीएम और वीवीपैट पर काफी हो-हल्ला मचा था। मीडिया रिपोर्ट्स देखने पर और सोशल मीडिया में देखने को मिलता था कि स्ट्रॉग रूम्स के आसपास ईवीएम की बरामदगी, ट्रकों, निजी वाहनों और होटल में मिले ईवीएम पर विपक्ष पार्टियां चुनाव आयोग पर सवाल उठा रही है।

ट्वीटर पर गुरुवार को कई सामाजिक कार्यकर्ता और दलित समाज ईवीएम बैन करने की मांग कर रहे हैं। भारत में #banEVM नाम से ट्वीटर पर टॉप ट्रेंड कर रहा है। वरिष्ठ पत्रकार और दलित चिंतक दिलीप मंडल ने ट्वीट करके कहा कि, “क्योंकि दुनिया का कोई भी विकसित देश मशीन से वोटिंग नहीं करता #evmBAN।”

जबकि दलित नेता और दिल्ली से सांसद रहे उदित राज 1 दिसंबर को रामलीला मैदान में ईवीएम को बैन करने के लिए एक बड़ी सभा करने जा रहे हैं। हंसराज मीणा ने ट्वीट करके कहा है कि, ईवीएम के खिलाफ ये लड़ाई सिर्फ ट्वीटर टॉप ट्रेंड के जरिए सिमट के नहीं रह जाएगी। जमीन पर उतारकर कड़ा उपयोग संघर्ष करो, बेहतर होगा।

कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय पार्टी नेता का ईवीएम को लेकर कहना है कि चुनाव के समय देश के कई हिस्सों में स्ट्रांगरूम से ईवीएम स्थानांतरित किए जाने की शिकायतों पर चुनाव आयोग को तत्काल प्रभावी कदम उठाना चाहिए। लेकिन चुनाव आयोग ईवीएम बैन करने की बात को नकारता रहा है।

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