राजन राज
यस बैंक के डूबने के बाद पूरे देश की गिरती अर्थव्यवस्था के आसार साफ-साफ दिखने लगा है। इसी बीच देश के पूर्व वित्तमंत्री पी. चिंदबरम ने मोदी सरकार पर जबरदस्त हमला बोला है लेकिन इसको जानने से पहले ये समझिए कि यस बैंक क्यों डूबा?
बैंक की परिसंपत्ति की गुणवत्ता में इस दौरान भारी गिरावट देखने को मिली है। बैंक की समग्र गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) 1.60 प्रतिशत से बढ़कर 7.39 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी। शुद्ध एनपीए भी 0.84 प्रतिशत से बढ़कर 4.35 प्रतिशत पर पहुंच गया था।
बैंक ने कहा कि एनपीए के लिये किया जाने वाला प्रावधान 942.53 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,336.25 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। बीएसई (बांबे स्टाक एक्सचेंज) में बैंक का शेयर 5.46 प्रतिशत गिरकर 66.6 रुपये पर आ गया है। नहीं समझ में आया क्यो? कुल मिला कर यह समझिए कि बैंक ने बहुत ज्यादा दगाबाजों को उधार दे दिया था जो अब वापस करने के मूड में नहीं है। बैंक के भाषा में इसको एनपीए कहते हैं।
चिंदबरम ने खोली पोल
चिंदबरम ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से कहा कि मोदी सरकार के दौरान ही यस बैंक में सबसे ज्यादा फर्जी लोगो को लोन दिया गया है। उन्होंने आकड़ा देते हुए बताया कि 2014 में यस बैंक का एनपीए 55 हजारो करोड़ा का था। वहीं 2019 में ये आंकड़ा 2 लाख 41 हजार करोड़ तक पहुंच गया।
क्या सरकार इस बात की पुष्टि करेगी कि यस बैंक की ऋण पुस्तिका भाजपा की निगरानी में ऐसे बढ़ी है:
FY2014: 55,000 करोड़ FY2015: 75,000 FY2016: 98,000 FY2017: 1,32,000 FY2018: 2,03,000 FY2019: 2,41,000— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 6, 2020
भाजपा 6 साल से सत्ता में है, वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित और विनियमित करने की उनकी क्षमता उजागर होती जा रही है।
पहले पीएमसी बैंक, अब यस बैंक। क्या सरकार बिल्कुल भी चिंतित है? क्या वो अपनी जिम्मेदारी से बच सकता है?
क्या लाइन में कोई तीसरा बैंक है?— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 6, 2020
चिंदबरम के इस पोस्ट का जवाब अब तक नहीं आया है क्योंकि मोदी सरकार को भलि भांति पता है कि बैंकों का एनपीए पिछले 6 सालों में दुगनी से भी ज्यादा गति से बढ़ा है। ऐसा क्यो हुआ है इसका जवाब तो मोदी सरकार को देना ही चाहिए।