उत्तर प्रदेश में अपराध तो कम नहीं हो रहा, लेकिन ताबड़तो़ड़ एनकाउंटर के ज़रिए कथित तौर पर अपराधियों को ज़रूर कम किया जा रहा है।

यूपी पुलिस के इन एनकाउंटर्स पर मानवाधिकार आयोग सवाल उठता रहा है। लेकिन अब इन सवालों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह कहकर पूर्ण विराम लगा दिया है कि अपराधियों का कोई मानवाधिकार नहीं होता यानि अपराधियों को जीने का कोई हक़ नहीं।

शुक्रवार को यूपी 100 के मुख्यालय में आयोजित वरिष्ठ अधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि अपराधियों का कोई मानवाधिकार नहीं होता है। इसलिए कोई भी संगठन मानवाधिकार के नाम पर अपराधियों व आतंकियों की पैरवी न करें।

आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकाल में मार्च, 2017 तक करीब 1500 एनकाउंटर्स में 69 अपराधियों को मार गिराया गया है। इस दौरान 450 लोग घायल भी हुए हैं।

सीएम योगी भले ही अपने संबोधन में इस बात का दावा कर रहे हों कि अपराधियों का कोई मानवाधिकार नहीं होता, लेकिन देश का संविधान उनकी इस बात से इत्तेफाक़ नहीं रखता। भारत के संविधान में अपराधियों को भी कई अधिकार दिए गए हैं। अपराधियों के लिए भारत में पूरा क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम है।

हैरानी की बात तो यह है कि अपराधियों के अधिकार को ख़त्म करने की बात करने वाले सीएम योगी पर भी कई आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। हालांकि सीएम बनने के बाद उन्होंने अपने खिलाफ़ चल रहे आपराधिक मुकदमों को बंद करवा दिया।

सीएम योगी के इस बयान के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर उनका जमकर मज़ाक बनाया जा रहा है। पूर्व समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने भी इसपर तंज़ कसा है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “इसीलिए अपराधियों को राजनीति में आने के बाद अपने अपराध मिटा लेने चाहिए…जैसे पूजनीय बाबा जी ने करे.. दो दर्जनभर अपराध के साथ इनके मानवाधिकारों का क्या होता”!

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