पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कांग्रेस पर चौतरफा हमला किया। पीएम मोदी ने लोकसभा में आज एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी याद किया।
उन्होंने कहा कि आज लोग चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहें है मगर खुद श्रीमती गांधी ने धारा 356 का दुरुपयोग किया है कांग्रेस ने 50 बार चुनी हुई सरकारों को गिराया है।
मोदी बोले- कांग्रेस में शामिल होना ‘आत्महत्या’ के समान है, लोग बोले- कांग्रेसियों को BJP में शामिल करना क्या है?
पीएम मोदी के इस दावे पर पत्रकार रोहिणी सिंह ने सोशल मीडिया पर तंज करते हुए लिखा, उल्लेखनीय ईमानदारी पीएम द्वारा।
अब इसे टाईपो एरर कह ले या कुछ और मगर पीएम मोदी के पीएमओ हैंडल पर लिखा, कांग्रेस ने धारा 356 का दुरुपयोग किया और मोदी ने संस्थानों को बर्बाद किया।
Remarkable honesty by the PM! https://t.co/KCTYiIUbp6
— Rohini Singh (@rohini_sgh) February 7, 2019
A welcome change of heart by Modi. Finally he has decided to speak the truth! pic.twitter.com/LnC40cDE6k
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) February 7, 2019
लोकसभा में बोलते हुए पीएम मोदी ने सरकारी संस्थानों को बर्बाद करने को लेकर कहा कि आपने सेनाअध्यक्ष को गुंडा कहा, न्यायपालिका पर सवाल उठाए। आपने चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किये। उन्होंने कांग्रेस पर सरकार गिराने का आरोप लगाते हुए कहा कि केरल में सन 1959 में कम्युनिस्टों की सरकार गिराने वाले हमसे सवाल करते है।
गौरतलब हो कि मोदी ने सरकार ने खुद एक साल (2016) दो बार चुनी हुई सरकारों को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाते हुए ऐसा करना न्यायसंगत ठहराया था।मगर बाद में अदालत ने मोदी सरकार के इस फैसले पलटते हुए राष्ट्रपति शासन हटाकर दुबारा से सरकार बनाने की अनुमति दे दी थी।
PM मोदी ने कहा- पहले सेना निहत्थी थी, आशुतोष बोले- फिर कारगिल में ‘पाकिस्तान’ के दाँत खट्टे किसने किये थे?
बता दें कि भारतीय संविधान की धारा 356 के अधीन भारत की केंद्र सरकार को, किसी भी राज्य की सरकार को भंग करने का अधिकार है, बशर्ते कि राज्य में सांविधानिक तंत्र विफल हो गया हो। राज्यपाल भी विधानसभा को भंग कर सकते हैं अगर किसी को स्पष्ट बहुमत न मिला हो।
ऐसी स्थिति में राज्यपाल विधान सभा को भंग करके उसे छह महीने के लिए निलंबित अवस्था में रखते हैं। उसके बाद भी अगर स्पष्ट बहुमत न जुट पाए तो फिर चुनाव कराए जाते हैं। इसे राष्ट्रपति शासन भी कहा जाता है,
क्योंकि मुख्यमंत्र की जगह भारत के राष्ट्रपति शासन संभालते हैं और प्रशासनिक सत्ता राज्यपाल के हाथों में होती है। धारा 356 के आलोचकों का तर्क है कि केंद्र सरकार राज्यों में राजनीतिक प्रतिपक्षियों की सरकारों को भंग करने के लिए इसका दुरुपयोग करती है।