7 अप्रैल नरेंद्र मोदी ने प. बंगाल, त्रिपुरा और मणिपुर में जनसभाओं को संबोधित किया। मणिपुर की राधनाधी इंफाल में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।

मणिपुर में बीजेपी की सरकार है, केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपना हिसाब देने के बजाए मंच से कांग्रेस से हिसाब मांगते नजर आए।

मोदी ने अपने भाषण में मणिपुर के विकास, वहां के लोकल मुद्दों, नागरिक संसोधन बिल, उग्रवाद आदि पर कम बात किया। लेकिन पाकिस्तान, कश्मीर, राष्ट्रवाद, राष्ट्र सुरक्षा, आतंकवाद, कांग्रेस पर ज्यादा समय खर्च किया।

मणिपुर की जनता मोदी के भाषण से कितनी संतुष्ट हुई इसका अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि भाषण के बीच में ही लोग जाने लगे। लेकिन इसी बीच मणिपुर की पुलिस ने कुछ ऐसा किया जिसका अंदाजा शायद किसी को नहीं होगा।
दरअसल लोग रैली मैदान से बाहर निकलते इससे पहले ही मणिपुर पुलिस से जबरदस्ती करने लगी। पुलिस ने पहले घेरा बनाकर लोगों को रैली मैदान से बाहर निकलने से रोका, फिर दरवाजा ही बंद कर दिया। यानी नरेंद्र मोदी की रैली में भीड़ दिखती रहे इसके लिए मणिपुर पुलिस जबरदस्ती लोगों को रोक रही थी।

लोगों के इच्छा के विरूद्ध उन्हें कैद करने की कोशिश करना किडनैपिंग माना जाएगा या नहीं मुझे नहीं मालूम। लेकिन चुनावी रैली में भीड़ दिखाने के लिए सत्ताधारी दल द्वारा सरकारी मशीनरी का इस तरह इस्तेमाल करना आचार संहिता उल्लंघन है या नहीं ये चुनाव आयोग को तय करना चाहिए।

मीडिया में इस बात जिक्र खूब है कि मोदी की रैलियों में लोग अब उस तरह से नहीं जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी की पिछली कई रैलियों में खाली कुर्सियों की तस्वीर मीडिया में रिपोर्ट की जा चुकी है। कहने का मतलब ये कि नरेंद्र मोदी का भाषण अपने जनता को आकर्षित करने में असलफ हो रहा है।

ऐसे में भीड़ दिखान के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया जाने लगा है। हो सकता है कुछ दिनों में मोदी की रैली में न आना कानून जुर्म घोषित कर दिया जाए।

मणिपुर पुलिस ने अपनी गुंडागर्दी के दम पर बहुत देर तक लोगों को रैली क्षेत्र में कैद कर रखा। लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब महिलाएं दरवाजा फांदकर बाहर निकलने लगीं। सोशल मीडिया पर इस घटना की वीडियो वायरल हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी, राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को टैग लोग सवाल पूछ रहे हैं लेकिन कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। चुनाव आयोग भी शायद गहरी नींद में हैं।

ManipurTalks नाम के एक ट्वीट प्रोफाइल से लगातार इस मुद्दें को उठाया जा रहा है। ManipurTalks ने इस घटना का कई वीडियो शेयर किया है। इन्हीं में से एक वीडियो रिट्वीट करते हुए छात्र नेता उमर खालिद ने लिखा है ‘यह है चौकीदार की चौकीदारी… जनता को जबरन प्रचार-प्रसार सुनाने के लिए पुलिस का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन यह चौकीदार भूल गया कि लाठियों के सहारे लोगों को शारीरिक रूप से नियंत्रण में लाया जा सकता है लेकिन उनके विचारों को कोई भी लाठी या गेट नहीं रोक सकते।’

बता दें कि साल 2017 में भाजपा ने पहली बार मणिपुर में सरकार बनाया। अब नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) समेत सहयोगी दलों के साथ मिलकर भाजपा लोकसभा की सीटों पर भी पैठ बनाना चाहती है। मणिपुर में लोकसभा की मात्र दो सीट हैं। यहां चुनाव दो चरणों में होगा। पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल और दूसरे चरण का मतदान 18 अप्रैल को है।

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