सोहराबुद्दीन कथित फर्जी एनकाउंटर केस में बड़ा ख़ुलासा हुआ है। केस से जुड़े पूर्व मुख्य जांच अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने सोमवार को सीबीआई विशेष अदालत में कहा कि इस केस से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को राजनीतिक और आर्थिक फायदा हुआ।

ठाकुर का कहना है कि शाह के अलावा इस केस से गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा, पूर्व एसपी (उदयपुर) दिनेश एमएन, पूर्व एसपी (अहमदाबाद) राजकुमार पांडियन और पूर्व डीसीपी (अहमदाबाद) अभय चूड़ास्मा को फायदा हुआ।

द हिंदू में छपी की रिपोर्ट के मुताबिक, ठाकुर ने बताया कि इस केस में अमित साह को पटेल भाईयों द्वारा तीन बार में 70 लाख रूपये दिया गए। पटेल भाईयों को कथित रूप से सोहराबुद्दीन ने धन उगाही के लिए जान से मारने की धमकी दी थी।

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उन्होंने कहा कि इस केस में गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी डीजी वंजारा को आर्थिक रूप से फायदा हुआ था क्योंकि एनकाउंटर करने के लिए उन्हें 60 लाख रूपया दिया गया था।

पूर्व जांच अधिकारी द्वारा किए गए इस ख़ुलासे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अमित शाह पर निशाना साधा है।

उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “सीबीआई एसपी ने कोर्ट में कहा कि शाह और उनके हिटमैन वंज़ारा दोनों को सोहराबुद्दीन के एनकाउंटर के लिए 70 और 60 लाख मिले”।

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उन्होंने आगे कहा, “जब सोहराबुद्दीन और कौसर बी की हत्या हुई तो दोनों और फेक एनकाउंटर टीम फोन के माध्यम से लगातार एक दूसरे से संपर्क में थे। तब भी दोनों को छोड़ दिया गया! क्या यही इंसाफ़ है”?!

पूर्व जांच अधिकारी ने ख़ुलासा करते हुए ये भी कहा कि जांच का सामना कर रहे किसी भी पुलिस अधिकारी को एनकाउंटर से राजनीतिक या आर्थिक फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि सोहराबुद्दीन को मारने के लिए मौजूदा आरोपी की कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी।

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मौजूदा समय के सारे 20 आरोपी वंजारा, पांडियन, दिनेश और चूड़ास्मा के आदेश पर काम कर रहे थे। हालांकि इन चारों लोगों को इस मामले में बरी कर दिया गया है।

ठाकुर ने इस बात से इनकार किया कि मामले में 22 अधिकारियों को फंसाने को लेकर सीबीआई निदेशक अश्विनी कुमार ने उनसे कोई पूछताछ की थी।

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