
राफेल का मामला 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुना गया। इस पर एसआईटी बनाई जाये या नहीं इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मामले में सुनवाई के लिए कोर्ट में वायुसेना के अफसर भी बुलाए गए।
कोर्ट ने वायुसेना के अफसरों से राफेल के बारे में कई तरह के सवाल-जवाब किए। इसके साथ ही कोर्ट ने उनसे राफेल से पहले हुई फाइटर जेट की डील से जुड़े भी सवाल किए। कोर्ट ने अफसरों से पूछा, ‘हाल ही में आईएएफ में कौन सा जेट शामिल किया गया है?’
इस पर अफसरों ने जवाब दिया, ‘सुखोई-30।’ इसके बाद मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने सवाल किया, ‘क्या से जेट चौथी जनरेशन का हल्का लड़ाकू विमान है?’ इस पर एयर मार्शल की ओर से बताया गया, ‘नहीं मैं कहूंगा कि ये 3.5 है।’
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इसके बाद गोगोई ने सवाल किया, ‘नया प्रस्तावित एयरक्राफ्ट कौन सी पीढ़ी का है?’ इस पर एयरफोर्स ऑफिसर की ओर से कहा गया, ‘पांचवीं पीढ़ी का क्योंकि यह स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से लैस है।’
कोर्ट में अफसरों के इस जवाब को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ग़लत बताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “बीते कल कोर्ट के सीधे सवाल के जवाब में वायुसेना अफसरों ने HAL द्वारा बनाई गई सुखोई 30 को 3.5 जनरेशन का विमान बताया। जबकि यह ग़लत है, विमान 4.5 जनरेशन का है”।
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उन्होंने इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, “क्या अफ़सरों ने सरकार के दबाव में कोर्ट को गुमराह किया”?
Yesterday in response to a direct Q from the court senior AF officials said that Sukhoi30 being made by HAL was a 3.5 generation fighter. This is false since it is regarded as a 4.5 generation fighter.Did officers mislead the court on government influence?https://t.co/bBnTm0PkOx
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 15, 2018
बता दें कि प्रशांत भूषण राफेल की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए अपने साथी एवं पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के साथ मिलकर कोर्ट में याचिका दायर की है।
कोर्ट इसी याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस मामले में कोर्ट अबतक तीन सुनवाई कर चुका है। पहली सुनवाई 10 अक्टूबर को हुई थी।