जामिया कैंपस के बाहर गोपाल शर्मा नाम के दक्षिणपंथी युवक ने जामिया के छात्र को गोली मार दी। इस युवक ने दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में गोली मारी और छात्रों पर बंदूक तानी है। मीडिया में चल रही वीडियो और तस्वीरों में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि गोपाल शर्मा के पीछे दिल्ली पुलिस के जवान खड़े हैं। जिसमें कोई पुलिस का जवान हाथ बांधे खड़ा है, कोई अपनी लाठी पर मुँह टीकाकर खड़ा है।
कुल मिलकर दिल्ली पुलिस आरामतलब अवस्था में है। दिल्ली पुलिस ने गोपाल शर्मा को तबतक नहीं पकड़ा जबतक गोपाल खुद पुलिस के पास नहीं चला गया।
ये वही दिल्ली पुलिस है जिसने 15 दिसम्बर को जामिया कैंपस में घुसकर तांडव मचाया था। कैंपस में भारी फ़ोर्स के साथ पहुंची पुलिस ने छात्रों को बर्बरतापूर्वक पीटा, लाइब्रेरी में घुसपर पढाई कर रहे छात्रों को पीटा और सरकारी संपत्ति को भारी छति पहुंचाई।
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लेकिन एक अकेला युवक गोपाल शर्मा पूरे पुलिस बल के सामने छात्रों पर खुलेआम गोली मार देटा है, मगर दिल्ली पुलिस उसे रोक नहीं पाती। पुलिस उसे तब रोक पाती है जब हमलावर युवक खुद पुलिस के पास चला जाता है।
दिल्ली पुलिस के इस रवैए से साफ़ समझा जा सकता है कि वो किस कदर काम कर रही है! पुलिस क्यों एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों को पीट देती है और एक हमलावर को अपनी आँखों के सामने गोली चलने की छूट देती है?