प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अप्रैल, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) लॉन्च किया था। इसके तहत 21 मार्च 2019 तक एक करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा गया था.

जिसके बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसी साल मार्च महीने में कहा था कि प्रधानमंत्री ने 2022 तक सभी के लिए पक्का घर बनाने का लक्ष्य रखा है. लेकिन यह सब दावे सरकारी है जोकि भाजपा सरकार में कोई ख़ास बात नहीं.

आए दिन ऐसे बयान और ऐसे दावे आते रहते हैं. फिर चाहे वो 15 लाख रुपये हों या फिर करोड़ो युवाओं से जुड़े रोजगार कि बात. भाजपा सरकार हर बार नया दावा करती है और हर बार इस बात में बहस होती है कि कौन सा दावा ज्यादा बड़ा झूठ है.

बात है भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री आवास से जुडी. आखिर कैसे जिन्दा को मरा और आदमी को औरत बना दिया जाता है इस योजन के तहत. तमाम तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त इस योजना कि पोल खोली है बीबीसी ने.

बीबीसी की एक स्टोरी में इस बात का खुलासा किया गया है कि कैसे आवास योजना के तहत गाँव के सरपंच से लेकर सरकारी बाबू तक अपनी जेब भर रहे हैं और प्रधानमंत्री हैं कि उन्ही दावों और खोखले सच के साथ दम भरते नजर आते हैं.

छटो देवी के अन्दर आई जितना कुंवर की आत्मा

मामला जुड़ा है बिहार के आरा जिले से। जहाँ छटो देवी नाम की महिला जितना कुंवर नाम से आवास योजना के तहत लाभार्थी हुई हैं. जानकारी के हिसाब से जितना कुंवर को मरे हुए दो साल हो गए हैं.

फिर भी बिहार सरकार ने अबतक उन्हें जिन्दा रखा है और उनके नाम से पैसा भी वितरित कर रही है. ये वही योजना है जिसके लिए प्रधामंत्री महिमामंडन के ऐसे कसीदे पढ़ते हैं कि जो बिडेन भी घुटने टेंक दें|

जितना कुंवर कि मौत हो चुकी है ऐसे में जब नोटिस उनके परिवार वालों तक पहुंची तो उनके कान खड़े रह गए. उनके परिवार के बेटे नलिन तिवारी जोकि जितना कुंवर की देवरानी का लड़का है.

वह आईटी कंपनी में काम करता है और लॉकडाउन में कंपनी बंद हो जाने के कारण अपने पैत्रक भूमि आरा में रह रहा था. जिससे इस बात कि ताफ्तिस्श की जा सकी क्यूंकि वह आईटी क्षेत्र में कार्यरत है और खुद भी काफी सारी जानकारी जुटा ली.

नलिन तिवारी बताते हैं कि उनकी बड़ी मां के नाम से जो पैसा आया वह गाँव की ही एक महिला छटो देवी के अकाउंट में जा रहा था जिसकी पहली किश्त आ चुकी थी और दूसरीआनी बाकी थी।

पैसा गुड्डू बिंद का खाता लल्लन यादव का

ऐसी ही एक कहानी है गुड्डू बिंद और लल्लन यादव की। जिसमें पैसा किसी और के खाते में जा रहा जबकि आवास योजना के तहत नाम किसी और का लिखा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना की वेबसाइट पर गुड्डू बिंद की रजिस्ट्रेशन आईडी BH2972167 डालकर सर्च किया गया तो एक पन्ना खुला. इसमें जो जानकारी दर्ज है, उसके अनुसार, गुड्डू बिंद को 40-40 हज़ार की तीन किस्त मिली है।

पहली किस्त पिछले साल 19 दिसंबर को, दूसरी इस साल 11 जनवरी को और तीसरी 19 मार्च को मिली है। लेकिन गुड्डू बिंद को इन तीन किस्तों में से फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है।

जिसके बाद पड़ताल से पता चला कि गुड्डू बिंद का पैसा लल्लन यादव के खाते में गया जिससे उन्होंने अपना घर तो बनवा लिया पर गुड्डू बिंद का घर कच्चा का कच्चा रह गया।

जानकारी से यह भी सामने आया कि इस कहानी में अकेले लल्लन ने ही पैसे नहीं हजम किये बल्कि गाँव के पंच, प्रधान से लेकर विभागीय अधिकारियों ने भी खूब डकार ली है इन पैसों से।

भांति-भांति प्रकार से होता है योजना के अंतर्गत भ्रष्टाचार

मरे हुए के नाम पर पैसा आता है, जिन्दा आदमी को मरा घोषित कर दिया जाता है, फर्जी दस्तावेज बनवाकर जो पात्र नहीं है वह भी ले रहे हैं योजना का लाभ. यह तो बस बिहार की दो खबरे हैं.

इनके अलावा भी सैकड़ों मामले ऐसे हैं जिनकी शिकायते आये दिन आती रहती है. और कुछ तो प्रशासन तक पहुच ही नहीं पाती और जो पहुँचती भी हैं वह या तो दबा दी जाती हैं या गरीब मजलूम मजदूरों को भगा दिया जाता है।

अफसरों ने प्रधान और पंचों को ठहराया जिम्मेदार

जब अफसरों तक यह शिकायतें पहुंचाई गयी तो उन्होंने भी जैसे तैसे अपना पल्ला झाड़ लिया। और इन सब में प्रधान, पंच और क्षेत्र पंचायत सदस्य पर ठीकरा फोड़ दिया। उन्होंने विभागीय कार्यवाही करवाने की बात कही है।

पर सवाल यह है कि जब जरूरतमंद को योजना का लाभ ही ना मिले तो योजना को सफल बताना तो सरासर झूठ हुआ ना। फिर कैसा महिमामंडन और कैसा दावा।

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