
कई राज्यों के किसान इस समय दिल्ली के संसद मार्ग पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की आवाज़ को बुलंद करने के लिए किसानों के इस आंदोलन में विपक्षी दल के कई बड़े नेता शरीक हुए हैं। विपक्षी नेता एकजुट होकर किसानों के हक़ में लड़ने की बात कर रहे हैं।
किसानों के इस आंदोलन में अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने यहां किसानों को आश्वस्त किया है कि उनकी पार्टी कांग्रेस उनके साथ है। कांग्रेस अध्यक्ष ने किसानों से कहा कि आपको डरने की ज़रूरत नहीं हैं, आप ही वह शक्ति हैं जिसने देश को बनाया है।
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संसद मार्ग पर किसानों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जब उद्योगपतियों का कर्ज माफ कर सकती है तो फिर किसानों का कर्ज़ क्यों माफ नहीं कर रही।
कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किसानों से वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी जी ने किसानों से वादा किया था कि एमएसपी बढ़ा दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया।
किसान देश पर भार नहीं हैं।
किसान देश का सार हैं|देश का किसान संकट में है|
उनकी उम्मीद टूट रही है।
उनके दिल में दर्द है।हम किसान को अकेला नहीं छोड़ सकते।
चाहे कानून बदलना पड़े, सरकार बदलनी पड़े या प्रधानमंत्री बदलना पड़े, हम किसान का साथ देंगे। किसान के साथ न्याय होगा। pic.twitter.com/uiZ9lyCgET
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 30, 2018
बता दें कि देश के अलग-अलग हिस्सों से कर्जमाफी समेत कई मांगों को लेकर हजारों किसान दिल्ली पहुंचे हैं। इनमें महिला किसान भी शामिल हैं। देश के विभिन्न राज्यों- आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों की मांग है कि सरकार संसद में विशेष सत्र बुलाकर किसानों के कर्ज़ और उपज की लागत को लेकर प्राइवेट बिल पारित करवाए। पिछले कुछ महीनों में यह तीसरी बार है जब देश के अन्नदाताओं को राजधानी में बैठे सत्ताधीशों को जगाने के लिए दिल्ली की सड़कों पर उतरना पड़ा है।
हैरानी की बात तो यह है कि किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर ज़रा भी गंभीरता नहीं दिखाई है।
सरकार की इस अंदेखी ने नाराज़ किसान सभा का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो 1947 जैसा आजादी का आंदोलन होगा और 2019 में किसान ही तय करेंगे कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा।