देश लगातार आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रहा है, औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में लगातार नौकरियां कम हो रही हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त महीने में 15 लाख से ज्यादा लोग बेरोज़गार हो गए हैं.
लेकिन केंद्र सरकार नौकरी, मंहगाई, बेरोज़गारी पर चर्चा करने के बजाए विपक्ष की बात करती है. 2014 से सत्ता में आने के बाद बीजेपी 70 साल का रोना रोती आ रही है.
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्विट कर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने ट्वीट किया कि “सीएमआईई की अगस्त की रिपोर्ट में वेतनभोगी नौकरियों में 4.7 मिलियन की गिरावट आई है. बेरोज़गारों की संख्या 6.6 मिलियन वृद्धि हुई है.
राजदीप आगे लिखते हैं कि कम होती नौकरियां और बढ़ती कीमतें, देश के लिए दोहरी आर्थिक चुनौती है. लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है हमारे पास बहस करने के लिए बरबेरी शर्ट और खाक़ी चड्डा है, सोचो.”
Salaried jobs fell by 4.7 million, ranks of unemployed increased by 6.6 million in August reports CMIE. Falling jobs and rising prices: twin challenges facing the country and most economies. But not to worry, we have Burberry shirts and khakhi shorts to debate! Think! Socho!🙏
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 13, 2022
दरअसल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद से बीजेपी लगातार हमलावर हो रही है. बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से राहुल गांधी के टीशर्ट को लेकर एक पोस्ट की गई थी. जिसमें लिखा था भारत देखो.
राहुल गांधी ने बरबरी की टीशर्ट पहनी हुई थी जिसकी कीमत लिखकर बीजेपी कांग्रेस और राहुल को घेरना चाहती थी.
लेकिन बीजेपी का ये दांव उल्टा पड़ गया. कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी के लाखों के सूट, चश्मे, कारों के दाम लिखकर वायरल कर दिए. सवाल गृहमंत्री के कपड़ों पर भी उठाया गया. इस मामले में मुंह की खाने के बाद बीजेपी ने भारत जोड़ो यात्रा के एक पोस्टर पर विवाद खड़ा कर दिया.
कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा के दिनों का नंबर लिखते हुए खाकी शॉट्स में आग लगा हुआ पोस्टर शेयर किया.
जिसके बाद बीजेपी के तमाम प्रवक्ता, मंत्री मुखर हो गए. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी का मकसद भारत जोड़ने का नही है.
भारत जोड़ो यात्रा के बाद से ही BJP बीजेपी राहुल गांधी के पीछे लगी हुई है. देश के तमाम गंभीर आर्थिक मुद्दों और समस्याओं को छोड़कर केंद्र सरकार के मंत्री उल्टे सीधे बयान देते नज़र आ रहे हैं. केंद्र सिरे से मंहगाई बेरोज़गारी को नकार रही है. जबकि सीएमआईई के आंकड़े डराने वाले हैं.
आंकड़ो पर गौर करें तो अगस्त में रोजगार दर में तो गिरावट सामने आई है लेकिन इसी महीने कर्मचारियों की भागीदारी दर में मामूली वृद्धि देखने को मिली है.
सीएमआईई का यह आंकड़ा दिखाता है कि भारी संख्या में लोग नौकरी के बाजार में आने के लिए तैयार हैं. रिपोर्ट से पता चलता है कि जुलाई में जहां लगभग 30 मिलियन लोग काम की तलाश में थे तो वहीं अगस्त में 36 मिलियन लोग सक्रिय रूप से काम खोजते नजर आए.