सोहराबुद्दीन शेख कथित फर्जी एनकाउंटर में डीजी वंजारा समेत सभी 21 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। ये फैसला मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने सुनाया है।

जिसमें सीबीआई ने कहा, सुबूतों से ये साबित नहीं होता है कि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की हत्या किसी साजिश के तहत हुई थी।

सीबीआई जज एसजे शर्मा ने अभियोजन पक्ष कथित साजिश करने के लिए किसी भी तरह के दस्तावेज और ठोस सुबूत पेश कर पाने में असफल रहा है।

साल 2005 में हुए इस एनकाउंटर में 22 लोगों को खिलाफ केस दर्ज कराया गया था, इनमें सबसे ज्यादा पुलिसकर्मी थे।

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ज़्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के पुलिस अधिकारी है हैरान करने वाली बात ये भी है कि 210 गवाहों में से 95 गवाह इस मामले की गवाही देने से मुकर गए जिसके बाद अदालत ने सीबीआई के आरोपपत्र में 38 लोगों में 16 लोगों को सुबूतों के आभाव में पहले ही आरोपमुक्त कर दिया था।   

इस मामले पर गुजरात में खोजी पत्रकार रह चुकी राणा अय्यूब ने सोशल मीडिया पर लिखा- आप क्या उम्मीद कर सकते हैं जब इस मामले का मुख्य आरोपी सत्ताधारी पार्टी का अध्यक्ष हो तो।

वहीं पत्रकार कादम्बिनी शर्मा ने लिखा ये एक आदर्श मामला है जहां ज्यादातर आरोपी पुलिस अधिकारी और बड़े राजनीतिक नाम थे मगर सारे गवाह पलट गए। कोई हैरानी नहीं होती

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