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Rana Ayyub

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के 14 दोषियों को जमानत दे दी है। इन सभी दोषियों के आरोप है कि इन्होने गुजरात के गोधरा 2002 दंगों में 33 मुस्लिमों को जिंदा जला दिया था। ये हत्याकांड गोधरा के सरदारपुरा में हुआ था।

कोर्ट ने इन सभी को इस शर्त पर जमानत दी है कि, ये लोग मध्य प्रदेश में जाकर समाज कार्य और अध्यात्मिक कार्य करें। सभी दोषियों को गुजरात उच्च न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी थी।

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इस फैसले पर गुजरात दंगों को करीब से कवर करने वाली वरिष्ठ पत्रकार राणा अयूब ने कहा है कि, “अगर 2002 के मास्टरमाइंड देश की अगुवाई कर सकते हैं, तो इसपर हैरानी कैसी?”

कोर्ट में मुख्य न्यायधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने इस मामले पर नया फैसला सुनाते हुए 14 को दो समूह में बांट दिया। फैसला सुनाया गया कि इसमें से एक समूह गुजरात से बाहर निकलेगा और मध्य प्रदेश के इंदौर में रहेगा, दूसरा समूह मध्य प्रदेश के ही जबलपुर में रहेगा।

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फैसले के मुताबिक सभी दोषियों को जमानत की शर्त के तहत प्रत्येक सप्ताह छह घंटे की समाज सेवा करनी पड़ेगी, प्रत्येक सप्ताह स्थानीय पुलिस थाने में पेश होना पड़ेगा। इस जमानती शर्त को जबलपुर और इंदौर जिला विधिक सेवा अधिकारी सुनिश्चित करेंगे। साथ ही ये अधिकारी दोषियों को रोजगार ढूंढने में मदद भी करेंगे।

बता दें कि इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने गोधरा के सरदारपुरा दंगों में 14 को बरी किया था और 17 को दोषी ठहराया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पटल दिया।

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