पिछले दिनों खबर आयी की राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने सरकार के रवैये से निराश होकर इस्तीफ़ा दे दिया। इनका कार्यकाल 2020 में खत्म होने वाला था।
लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष पीसी मोहनन और सदस्य जेवी मीनाक्षी ने मोदी सरकार पर ये आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया की वो रोज़गार और जीडीपी के आंकड़े छिपा रही है।
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अब बिजनेस स्टैंडर्ड राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की पीएलएफएस की एक रिपोर्ट का खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने इस रिपोर्ट को दिसंबर में ही मंजूरी दे दी थी लेकिन सरकार ने रिपोर्ट को जारी नहीं किया।
सोमवार 28 जनवरी को सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने भी इस्तीफा देते हुए सरकार पर यही आरोप लगाया था। सरकार के अंतरिम बजट से कुछ दिन पहले और लोकसभा चुनाव के कुछ महीने हुए इस खुलासे से बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है।
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विपक्षी दल पर पहले से ही रोजगार के आंकड़ों को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। साथ ही पीएम मोदी के उन वादों को भी याद दिला रही है जिसमें उन्होंने कहा था कि हर सार देश को 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे।
वादे के मुताबिक हर साल दो करोड़ रोजगार तो मिले नहीं उल्टा बेरोजगारी दर ने पिछले 45 साल का रिकार्ड तोड़ दिए।