भारत को सुरक्षा देने का वादा करने वाले नरेंद्र मोदी, पत्रकारों के आज़ादी की सुरक्षा भी नहीं कर पाए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मोदी सरकार के रहते भारत ‘गलोबल प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ पर दो पायदान और नीचे खिसक गया है। साल 2019 में वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम की इस लिस्ट में भारत 180 देशों में से 140वें स्थान पर है।

पिछले साल जब ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ नाम की अंतराष्ट्रीय संस्था ने प्रेस फ्रीडम पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी तब भारत उस लिस्ट में 138वें पायदान पर था। लेकिन इस साल भारत 140वें पायदान पर है। ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत की स्थिति ना पिछले साल अच्छी थी ना ही इस साल अच्छी है। तभी तो विश्वगुरु बनने का सपना देखने वाला देश ‘गलोबल प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ के 180 देशों की लिस्ट में सिर्फ 40 देशों से बेहतर है।

नॉर्वे इस लिस्ट में पहले स्थान पर है। रूस इस बार 149वें पायदान पर है तो वहीं पाकिस्तान पहले से 3 स्थान नीचे गिरकर 142वें पायदान पर है।

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‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ एक अंतराष्ट्रीय, गैर-सरकारी संस्था है जो प्रेस की स्वतंत्रता सूचना की स्वतंत्रा पर अपना सर्वे जारी करती है। इस संस्था ने गुरुवार, 18 अप्रैल को जो अपना सर्वे जारी किया है उसमें भारत में हो रही पत्रकारिता की आज़ादी पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

मोदीराज में भारत का प्रेस नहीं है आज़ाद

भारत में पत्रकारों की स्वतंत्रता के साथ सुरक्षा भी एक बड़ा मुद्दा है। साल 2018 की ही बात करें तो 6 पत्रकारों को उनकी काम की वजह से मार दिया गया यानी हत्या कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया-पसिफ़िक क्षेत्र, जिसमें भारत भी आता है, वहां पर गलत-खबरें भी एक बड़ी समस्या बन गई है।

रिपोर्ट में लिखा है कि भारत में अगर कोई पत्रकार ऐसे विषयों पर लिखता है जो ‘हिंदुत्व’ पर कटाक्ष कर रहा हो तो उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘हेट कैंपेन’ चलाई जाती है।

यूं तो प्रधानमंत्री मोदी खुद प्रेस कांफ्रेंस नहीं करते हैं और अपना इंटरव्यू भी उन्हीं गिने-चुने चैनलों को देते हैं जो अक्सर उनकी वाह-वाही करते नज़र आते हैं। फिर चाहे वो टाइम्स नाउ हो या फिर ज़ी न्यूज़। जब खुद प्रधानमंत्री मीडिया को सवाल करने की आज़ादी नहीं देते, तो उनसे ये उम्मीद करना फ़िज़ूल है कि वो देश की मीडिया की स्वतंत्र सुनिश्चित करेंगे।

भारत के पत्रकारों की आज़ादी है खतरे में

साल 2017 में भारत वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम के मामले में 136वें पायदान पर था। यही नंबर साल 2018 में 138वें और साल 2019 में 140 हो गया है। यानी की भारत में पत्रकारिता का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और मीडिया लगातार अपनी आज़ादी खो रही है।

खुद ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ की वेबसाइट पर लिखा है कि जब 2 फरवरी को कुछ पत्रकार रायपुर में भाजपा की इंटरनल मीटिंग को कवर कर रहे थे, तब उनपर पार्टी के लोगों ने हिंसक हमला कर दिया था।

ऐसे और भी काई वाक्य और आंकड़ें हैं जिससे पता चलता है कि मोदी सरकार ने देश के पत्रकारों के हाथों में बेड़ियां डालने की पुरज़ोर कोशिश की है। लेकिन अब भी ऐसे कई पोर्टल और मीडिया संस्थान हैं जो इस तरह के ‘प्रोपेगंडा जर्नलिज्म’ के खिलाफ बेख़ौफ़ होकर सच्ची पत्रकारिता कर रहे हैं।

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