राफ़ेल डील पर 14 दिसम्बर को आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और पूर्व भाजपा नेता अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा समेत वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ये पुनर्विचार याचिका डाली है।

तीनों ने नए साल पर पीएम मोदी के दिए इंटरव्यू के एक दिन बाद ये याचिका डाली है। इसमें कहा गया है कि- जो फ़ैसला 14 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था वो मोदी सरकार  के कोर्ट में दिए बिना दस्तख़त के सीलबंद नोट में किए गए ग़लत दावों पर आधारित था। इसलिए मामले में सुप्रीम कोर्ट अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करे।

कोर्ट ने राफ़ेल ख़रीद में हुई कथित घोटालेबाज़ी पर कोर्ट की निगरानी में की जाए ऐसी सभी याचिका को 14 दिसम्बर को ख़ारिज करते हुए कहा था कि, राफ़ेल विमान सौदेबाज़ी की जानकारी कैग से साझा की गई है और कैग की रिपोर्ट को पीएसी ने जाँचा है। इस फ़ैसले के बाद पीएसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि उनके पास ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

फ़ैसले में हैं त्रुटियाँ?

पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि अदालत के 14 दिसम्बर 2018 के फ़ैसले में कई त्रुटियाँ थीं। ये फ़ैसला केंद्र सरकार की ओर से दी गई ग़लत जानकारी पर आधारित था। न तो इस मामले में कैग की रिपोर्ट सबमिट की गई है और न ही इसकी जाँच की गई है।

ख़ुद पीएसी के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी राफ़ेल मामले में कोई रिपोर्ट मिलने से इनकार कर चुके हैं।

कोर्ट ने ख़ारिज कर दी थी सभी याचिकाएँ-

कोर्ट ने 14 दिसम्बर को राफ़ेल डील में हुई अनियमितताओं की जाँच से जुड़ी सभी याचिकाएँ ख़ारिज करते हुए कहा था कि डील में कोई अनियमितता नहीं बरती गई है। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा था कि कितने विमान ख़रीदने हैं ये सरकार को बताने का काम कोर्ट का नहीं है।

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