कोरोना महामारी के बीच भारत के अमीर लोगों की दौलत में दुनिया के हर देश से ज्यादा इजाफा हुआ है। सदी की सबसे बड़ी महामारी ने दुनिया में आय की असामनता को पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा दिया है।

इसी साल 2021 में जनवरी महीने में आजतक में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक,

“मार्च 2020 से दिसंबर 2020 के बीच लॉकडाउन और अन्य परेशानियों की वजह से जहां करोड़ों लोग और गरीब हो गये हैं, वहीं दुनिया के टॉप अमीरों की संम्पत्ति में करीब 3.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर ( करीब 289 लाख करोड़ रूपयों) का इजाफा हुआ है।”

वहीं मुकेश अंबानी, गौतम अडाणी, पूनावाला और कई अन्य भारतीय अमीरों की नेटवर्थ में महामारी के बावजूद साल 2020 में उछाल देखने को मिली थी।

कोरोना की पहली और दूसरी लहर में अर्थव्यवस्था में गिरावट समान बात थी। आम जनता की जिस तादाद में नौकरियां छिनी हैं, उनकी आय में जिस गति से गिरावट आयी है, उतने ही तेज गति से अमीरों की आय में बढ़त हुई है।

वरिष्ठ खोजी पत्रकार दीपक शर्मा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक तस्वीर जारी करते हुए लिखा है कि, “सदी की सबसे भयावह महामारी में जहां लोगों की कमर टूट गई, करोड़ों बेरोजगार हुए।

वहीं भारत के सर्वाधिक अमीर लोगों की दौलत में 45 फीसदी इजाफा हुआ जो चीन, अमेरिका और ब्रिटेन से भी ज्यादा है।

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा अच्छे दिन साहेब के सबसे करीबी दौलतमंदों के आये। आंकड़ें भी अब इसके गवाह हैं।”

ट्वीट के साथ जो तस्वीर है उसमें भारत के साथ चीन, अमेरिका और यूके के आंकड़ें दर्शाए गए हैं। ग्राफ में साल 2000 से लेकर 2020 तक इन देशों की ग्रोथ दिखायी गई है।

इसमें भारत सबसे आगे है 45 फीसदी के साथ, उसके बाद 36 फीसदी के साथ अमेरिका दूसरे नंबर पर, 35 फीसदी के साथ चीन तीसरे स्थान पर है और चौथे स्थान पर यूके 23 फीसदी पर है।

जारी ग्राफ के ठीक नीचे मशहूर अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्री एंथनी शोरॉक्स का नाम है। क्रेडिट सुइज़ की रिपोर्ट 200 देशों के 5.2 अरब व्यस्कों की दौलत के डेटा पर आधारित है। ये रिपोर्ट दुनिया की सबसे भरोसेमंद और विस्तृत रिपोर्ट है।

भारत सरकार ने कोरोना की दोनों लहरों में जनता के लिए केवल जुमले देने का ही काम किया है।

20 लाख करोड़ के जुमले को दिन रात टीवी न्यूज चैनलों पर चीखने वाले नेता अगर भारत के हृदय कहे जाने वाले गांवों की ओर बढ़ जाए तो वो पाएंगे कि कोरोना महामारी ने देश में किस स्तर की त्रासदी मचायी है।

हर दूसरे आदमी की नौकरी गई है। हर घर की आय में गिरावट आयी है। छोटे मंझोले व्यवसाय वाली आबादी तो अब तक केवल अपने धंधों को वापस शुरू करने की राह देख रही है।

स्कूल, पर्यटन, रेस्ट्रॉन्ट, होटल, थियेटर जैसे सभी क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारी डेढ़ साल से घर पर बैठ कर किसी तरह अपना घर चला रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here