बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में गुंडाराज और जंगलराज बड़े स्तर पर अपने पैर पसार रहा है। बीते 3 महीने में योगी सरकार के राज में तीन पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है।
बीती रात बलिया शहर में सहारा समय से जुड़े पत्रकार रतन सिंह की हत्या कर दी गई। बेखौफ अपराधियों ने पत्रकार को बेरहमी से दौड़ाकर गोलियों से भून डाला। पोस्टमार्टम के बाद जब पत्रकार का शव परिजनों के बीच पहुंचा तो पूरे इलाके में मातम छा गया।
परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल हो गया। उसी बीच पत्रकार रतन स़िह के पिता ने अर्थी लेने से इंकार करते हुए न्याय की मांग की। पत्रकार के पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा अगर बेटे को न्याय नहीं मिला तो अर्थी नहीं लेंगे।
परिजनों के सवाल उठाने पर मामला गंभीर हो गया है। प्रदेश में लगातार पत्रकारों पर हो रहे हमल़े पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं। पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर दिल्ली की मीडिया खामोश है।
इसपर पत्रकार रोहिणी सिंह ने ट्विटर के जरिए मीडिया पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा- “बलिया में पत्रकार रतन सिंह को दौड़ा कर गोली मार दी गयी, उत्तरप्रदेश सरकार हत्या का औचित्य सिद्ध करने में जुट गयी, दिल्ली की मीडिया जिन्हें स्थानीय पत्रकार ‘डाउनमार्केट’ लगते हैं वो सुशांत के पिता को इंसाफ दिलाने में व्यस्त हैं। रतन सिंह के पिता की चीख उन तक नहीं पहुँचेगी।”
आगे लिखा- रतन सिंह के पिता शायद ‘TRP मटेरियल’ नही हैं, वो जिस व्यवस्था के खिलाफ बोल रहे हैं वो शायद मीडिया के एजेंडे को सूट नहीं करता, वह सामान्य परिवार के सामान्य व्यक्ति हैं, शायद इसी लिए उन्हें न्याय का हक भी नहीं है। मैं उनके पिता की आवाज बनूँगी, सत्ता की नहीं, आप अपना पक्ष चुन लीजिए।
बलिया में पत्रकार रतन सिंह को दौड़ा कर गोली मार दी गयी, उत्तरप्रदेश सरकार हत्या का औचित्य सिद्ध करने में जुट गयी, दिल्ली की मीडिया जिन्हें स्थानीय पत्रकार ‘डाउनमार्केट’ लगते हैं वो सुशांत के पिता को इंसाफ दिलाने में व्यस्त हैं। रतन सिंह के पिता की चीख उन तक नहीं पहुँचेगी। (1/2)
— Rohini Singh (@rohini_sgh) August 25, 2020
जहां एक तरफ पत्रकार राज्य में सुरक्षित नहीं है। वहीं पुलिस प्रशासन खुलेआम कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ा रहा है। आए दिन सोशल मीडिया पर यूपी पुलिस की बेशर्मी और सच्चाई जाहिर करती कई वीडियोज सामने आ चुकी हैं। आम जनता पुलिस और योगी सरकार से त्रस्त है।
बता दें भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले और उनकी पोल-खोल करने वाले पत्रकार अक्सर भाजपा समर्थकों और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं के निशाने पर रहते हैं।
पत्रकारों की असुरक्षा का मामला काफी गंभीर मुद्दा है। क्यूंकि निष्पक्ष पत्रकारों की मदद से ही हमारे सामने सच्चाई आ पाती है। वर्ना भाजपा के शासनकाल में गोदी मीडिया चंद पैसों के लिए बिक चुकी है।