मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों की कर्जमाफ़ी को लेकर बीजेपी एक बार फिर कांग्रेस नेताओं के निशाने पर है।

महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने महाराष्ट्र के किसानों के कर्ज को याद करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में चार साल बाद भी किसानों का क़र्ज़ माफ नहीं हुआ।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हमारे मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली और चंद घंटों में किसानों के क़र्ज़ माफ कर दिए। यह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का चुनावी वादा था। यह वादा था,जुमला नहीं।

पिछले दिनों महाराष्ट्र में किसान जब सरकार के वादे अधूरे रह गए तो किसान एक बार फिर सड़क पर उतरने को मजबूर हुए थे। जहां किसानों का कहना था कि अगर उनका पेट खाली रहा तो वे सत्ता तंत्र को भी चैन से नहीं सोने देंगे।

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सोचने वाली बात है कि ये किसान चाहते क्या हैं। मांगें पुरानी हैं। सौ फीसदी कर्ज माफी,  सूखे का मुआवजा कम से कम 50 हजार रूपए। फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य।

इन्हीं मागों पर कुछ महीने पहले किसान सड़क पर उतरे थे और अब फिर से ये सड़क पर खड़े हैं किसानों का साथ देते हुए शिवसेना ने भी किसान मार्च को अपना समर्थन दिया था।

गौरतलब हो कि महाराष्ट्र में करीब 30000 किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते हुए एक साल में दो बार सड़कों पर पर उतर चुके है।

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जिनमें किसानों की मांग है कि उनके लिए संपूर्ण कर्जमाफी, कृषि उत्पाद को दोगुना भाव मिले, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर अमल, वनाधिकार कानून लागू करने, सूखे से राहत, न्यूनतन समर्थन मूल्य, लोड शेडिंग की समस्या आदि प्रमुख मांगों को लेकर किसान सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे है।

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