जिस आर्थिक विकास का ढिंढोरा पीटकर नरेंद्र मोदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बने हैं, उसका एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। ताज़ा जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पांच साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया है।

ख़बरों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश का आर्थिक विकास दर घटकर 6 प्रतिशत से भी नीचे चला गया है। जनवरी-मार्च तिमाही में GDP मात्र 5.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। पिछले पांच साल की किसी भी चौथी तिमाही में 6 प्रतिशत से कम की विकास दर नहीं रही थी। साथ ही, 5.8% का ग्रोथ रेट पिछले 17 तिमाहियों की विकास दर में सबसे कम है, जो पिछले दो वर्षों में पहली बार चीन की विकास दर से भी नीचे है।

इसके साथ ही लेबर सर्वे के आंकड़े भी सामने आए हैं, जिसके मुताबिक बेरोज़गारी पिछले 45 सालों के चरम पर पहुंच गई है। पिछले वित्त वर्ष में देश में बेरोजगारी दर भी 6.1% पर रही है। ध्यान रहे कि जनवरी महीने में ठीक यही आंकड़ा लीक हुआ था। जिसमें कहा गया था कि देश में बेरोजगारी के आंकड़े ने वर्ष 1972-73 के बाद पहली बार इतनी ऊंचाई को छुआ है।

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लेकिन चुनाव के मद्देनज़र मोदी सरकार ने इन आंकड़ों को बड़ी चालाकी से छुपा लिया था। पर सच को ज़्यादा देर नहीं छुपाया जा सकता है। वह सामने आ ही जाता है। अब चुनाव खत्म होने के बाद यह आंकड़े सबके सामने हैं।

इन ताज़ा आंकड़ों को लेकर फर्स्टपोस्ट में एक कार्टून भी छपा है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी GDP और रोज़गार के ग्राफ को नीचे जाते हुए देखकर चिंतित लग रहे हैं, तो पीछे खड़े अमित शाह मुस्कुराते नज़र आ रहे हैं। कार्टून में यह बताने की कोशिश की गई है कि अब सियासत में इस तरह के मुद्दे मायने नहीं रखते, इसीलिए अमित शाह को हंसते हुए दिखाया गया है।

अमित शाह जानते हैं कि चुनाव ऐसे मुद्दों पर नहीं बल्कि मंदिर-मस्जिद और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ा जाता है। जिसमें वह और उनकी पार्टी माहिर हैं। इसी कार्टून को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने रिट्वीट किया है।

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उन्होंने इसे रिट्वीट करते हुए लिखा, “भले ही बेरोज़गारी 45 वर्षों के इतिहास में सबसे ज़्यादा है या फिर GDP 5 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर है लेकिन मैं ये बिलकुल साफ़ कह देना चाहता हूँ “सब कुछ राष्ट्रद्रोहियों द्वारा फैलाई जा रही अफ़वाह है” हमारा नारा है भूखे पेट मर जायेंगे, पर मंदिर वहीं बनायेंगे”।

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